जानकारी अनुसार कृषि उपज मंडी में किसानों की उपज से ही पूरी मंडी के आढ़तिया, हम्माल, मुनिम, चरणी वाले व अन्य वर्ग के लोगों की आमदनी का स्रोत है। इसके साथ ही किसानों के माल को बेचकर व्यापारियों द्वारा सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाले किसान के हालात की बात करें तो वह ठीक नहीं है। कृषि उपज मंडी में अपने उपज बेचने आने वाले किसानों को यहां पर रात्रि के समय वाहनों को लाइनों में कतार में लगाना पड़ रहा है। और अपनी उपज खाली करने के लिए रातभर रातीजगा करना पड़ रहा है। उसके बाद में उसको मंडी के प्लेटफार्म पर धान व अन्य जिन्स खाली करने की जगह मिलती है। उसके बाद में मंडी के हालातो की बात करें तो मंडी के हालात भी किसी से छिपे नहीं है।
मंडी में माल का ढेर करने के बाद में किसान माल की तुलाई कब होगी, यदि तुलाई हो भी गई तो उसके माल को कब व्यापारी के कर्मचारियों द्वारा संभाला जाएगा। रात्रि के 9 बजे बाद में हम्मालों द्वारा किसान के माल की तुलाई का कार्य बंद कर दिया जाता है। ठीक इसी प्रकार व्यापारियों के कर्मचारियों द्वारा भी किसान के माल की तुलाई होने के बाद उसको नहीं संभाला जाता। ऐसे में कई किसानों को रात्रि के 9 बजे बाद तक तुलाई का नम्बर नहीं आने से 2 दिन तक अपनी उपज बेचने के लिए तुलाई के लिए यहां इंतजार करना पड़ रहा है। मंडी में लगातार चल रही अव्यवस्थाओं के चलते यहां बम्पर आवक भले ही धान की हो रही है।
आवक के अनुरूप यहां की तमाम व्यवस्थाएं लदान, तुलाई, व संभालना किसानों की तोल पर्चियां बनाना सहित अन्य कार्य समय पर नहीं होने से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए दो से तीन दिन का समय मंडी में व्यतीत करना पड़ रहा है। वही किसान कलेवा संचालन की बात करें तो उसका संचालन सुबह 10 बजे से शाम को 4 बजे तक होता है। उसके बाद में रात्रि को शाम को खाने के लिए या तो किसानों को खाना घर से मंगाना पड़ता है। या फिर मंडी गेट के बाहर संचालित होटलों पर उन्हें मुंह मांगे दामों पर खाना खाने की व्यवस्था करनी पड़ती है। सबसे ज्यादा हालत खराब उन किसानों के होते हैं जो लगभग 20 से 50 किलोमीटर की दूरी से यहां अपनी उपज बेचने आते हैं। कई किसान मध्य प्रदेश से यहां पर अच्छे दाम मिलने की आस लेकर अपनी उपज बेचने के लिए आते हैं।
रामगंजबालाजी. कुंवारती कृषि उपज मंडी में किसानों के ढ़ेरों की सफाई के नाम पर एकत्रित किए जाने वाले दाने मंडी में ही बेचने का सिलसिला पिछले कई सालों से लगातार जारी है। इसके बावजूद मंडी प्रशासन चेन की नींद सो रहा है। यहां पर बिना लाइसेंस धारी व्यापारियों द्वारा मंडी के अंदर दाने एकत्रित किए जाने वाले माल को बिना मंडी शुल्क दिए ही खरीद किया जा रहा है। और उस माल को फिर मंडी में ही बेचा जा रहा है। मंडी में एक दर्जन से अधिक दुकानें ऐसी बिना लाइसेंस के संचालित होने के बावजूद मंडी प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि मंडी में सुरक्षा के नाम पर दर्जनों सुरक्षा कर्मियों के साथ ही होमगार्ड व पुलिस के जवान तैनात किए हुए हैं।
मंडी प्रशासन द्वारा यहां पर लाखों रुपए की लागत के कैमरे लगवाए जाने के बाद भी यहां हो रहे अवैध कारोबार पर अंकुश लगने का नाम नहीं ले रहा है। कई किसानों के ढेरों से सफाई के नाम पर 5 से 10 किलो तक का धान लिया जा रहा है। ऐसे में किसानों को लगभग 200 से 500 रुपए तक की चपत सफाई के नाम पर लगाई जा रही है। इस मामले को लेकर कई बार किसान संगठनों द्वारा मंडी प्रशासन को लिखित में देने के बाद मंडी प्रशासन ने इस प्रकार का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किए, लेकिन निर्देशों की पालन नहीं हो पाई।