रहने वाली पंजाब की, लापता हुई अलवर से
वृद्धा राजकौर के इकलौते पुत्र गुरमीत ङ्क्षसह ने बताया कि वे मूल रूप से गांव ङ्क्षसहेवाला, लाधूका मंडी जिला- फाजिल्का (पंजाब) के रहने वाले हैं। करीब डेढ़ माह पहले वे नरमा-कपास चुगाई आदि कामकाज के लिए राजस्थान के अलवर जिले में आए थे। गुरमीत का ससुराल भी वहीं अलवर में है। इस दौरान करीब एक माह पहले उसकी मां जिसकी मानसिक हालत कुछ ठीक नहीं है, घर से निकल गई। किसी अनहोनी की आशंका के चलते उन्होंने आसपास एरिया और पंजाब में अपने गांव में भी तलाश की लेकिन कहीं नहीं मिली। इस संबंध में उसने अलवर के पुलिस थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी।
भागकर जा रही थी बॉर्डर पर कि…
इधर, राह भटककर भारत-पाक सीमा पर बसे गांव 61 एफ पहुंची राज कौर मंगलवार को गांव में कई लोगों के घर गई तो अजनबी महिला को देख वे भी हैरत में पड़ गए। यही नहीं, कुछ लोगों से दुत्कार पाकर वह भारत-पाक सीमा की ओर भागने लगी। इससे पहले कि वह तारबंदी के निकट जाती सूचना पाकर गांव के ही निवासी व नर्सिंग अधिकारी शिव कंबोज ने उसे बॉर्डर की ओर जाने से रोका व उससे नाम-पता पूछा तो उसने अपना ठिकाना मंडी लाधूका (फाजिल्का) बताया। इस पर शिव ने उसका वीडियो बनाकर लाधूका निवासी अपने दोस्त अशोक कंबोज को भेजा। इधर, यह महिला बस से यहां कस्बे में पहुंच गई।वृद्धा के पुत्र गुरमीत ङ्क्षसह को भी यहां बुलाया गया। रातो-रात अलवर से चलकर गुरुवार को यहां आश्रम में पहुंचा गुरमीत अपनी मां को देखकर इतना भावुक हुआ कि उसके आंसू छलक गए। आश्रम के पदाधिकारियों ने मां-पुत्र को खुशी-खुशी विदा किया। मौके पर आश्रम की संचालिका शिक्षिका रेणु खुराना, पदाधिकारियों राधेश्याम छाबड़ा व पवन यादव के अलावा शिव कंबोज व शेखर आदि भी मौजूद थे।