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Patrika Opinion: ईवीएम को संदेह से परे रखने के करने होंगे प्रयास

ईवीएम को लेकर सवालों के बीच चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वीवीपैट की तरह इन मशीनों से जुड़े संदेह को पूरी तरह से खत्म करने के समय-समय पर प्रयास करे। अन्यथा ऐसे आरोप लगने पर भारतीय चुनाव प्रणाली की साख पर आंच आने का खतरा हमेशा बना रहेगा।

जयपुरNov 27, 2024 / 10:22 pm

harish Parashar

समय की बचत व निष्पक्ष मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए चुनावों में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर उठने वाले विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर चुनाव के मौके पर पराजित होने वाले दल और उनके नेता ईवीएम को एक पक्ष के लिए वोट उगलने वाली बताते हुए सवाल उठाते रहे हैं। इस बार महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नतीजों के बाद विपक्ष ने फिर ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। यह बात और है कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की जगह बैलट पेपर से मतदान कराने की याचिका खारिज कर दी है, वहीं दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की यह अहम टिप्पणी ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को संदेश देने वाली भी है जिसमें उसने कहा है कि हारे तो मशीन गलत होती है और जीते तो कुछ नहीं। यह सच भी है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ईवीएम का इस्तेमाल लम्बे समय से हो रहा है। ईवीएम पर सवाल भी हर बार कोई न कोई दल या नेता उठाते रहे हैं। खास तौर से वे जो सत्ता की चौखट तक नहीं पहुंच पाते। पिछले साल हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई तो ईवीएम पर उंगली उठाई गई, लेकिन हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत हुई तो ईवीएम शायद निर्दोष मान ली गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऐलान किया है कि वह बैलट पेपर से चुनाव कराने की मुहिम में दूसरे दलों को भी शामिल करेंगे।
लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है, लेकिन ईवीएम से मतदान जैसी व्यवस्था में सबूत दिए बिना महज खोट की आशंका भर से सवाल उठाना तो किसी भी सूरत में उचित नहीं कहा जा सकता। यह बात भी सही है कि तकनीक से जुड़े हर काम में गड़बड़ी करने के रास्ते भी खुले रहते हैं। हमें यह भी याद रखना होगा कि काफी जांच-परख के बाद ही हमारे देश ने चरणबद्ध तरीके से ईवीएम से मतदान की प्रक्रिया को अपनाया है। चुनाव नतीजों ने भी समय-समय पर बता दिया है कि ये किसी एक दल या नेता के पक्ष में नहीं रहे। चुनाव आयोग भी कह चुका है कि ईवीएम न तो हैक हो सकती है और न ही इससे छेड़छाड़ संभव है।
ईवीएम को लेकर सवालों के बीच चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वीवीपैट की तरह इन मशीनों से जुड़े संदेह को पूरी तरह से खत्म करने के समय-समय पर प्रयास करे। अन्यथा ऐसे आरोप लगने पर भारतीय चुनाव प्रणाली की साख पर आंच आने का खतरा हमेशा बना रहेगा।

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