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सिवनी

हर साल हृदयघात से जा रही आधा सैकड़ा से ज्यादा जान

– जिले के सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं एंजियोप्लास्टी जैसी सुविधा

सिवनीDec 03, 2024 / 06:08 pm

sunil vanderwar

जिला अस्पताल का आईसीयू वार्ड।

जिला अस्पताल का आईसीयू वार्ड।

सिवनी. तापमान जैसे-जैसे नीचे जा रहा है, अस्पताालों में हृदय रोग से सम्बंधित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो रोजाना ही आधा सैकड़ा से ज्यादा मरीज सीने में दर्द होने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हंै। इससे ईसीजी जांच बढ़ गई है। हालांकि इसीजी जांच में 70 प्रतिशत मरीजों में कोई गड़बड़ी नहीं निकल रही है। फिर भी डॉक्टर मरीजों को ठंड से बचने की सलाह दे रहे हैं।

जिले में हृदय रोग के मरीजों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं बढ़ पाई हैं। जिला अस्पताल में हर वर्ष औसतन 50 से ज्यादा लोगों की मौत हृदय घात से हो रही है। इसके बाद भी हृदय के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। संसाधनों की कमी अब भी बनी हुई है। वर्तमान में जिले हृदय रोग के मरीजों के लिए के लिए केवल जिला अस्पताल में आईसीयू ही बना है। इसमें भी पलंग की संख्या कम है। इधर जिले में चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिविल अस्पताल तो बन चुके लेकिन यहां भी संसाधनों में कोई विस्तार नहीं किया गया। सभी अस्पतालों में मात्र ईसीजी और बीपी के लिए मशीनें दी गई हैं। मरीज को तकलीफ होने पर या तो उन्हें रेफर कर दिया जाता है या फिर दवा देकर सलाह दी जाती है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति यह है कि एंजियोग्राफी तक की भी सुविधा नहीं है। इसके अलावा एंजियोप्लास्टी भी नहीं होती है। यह सुविधा जिला अस्पताल में तक नहीं है। अस्पताल में केवल हड्डी और अन्य रोगों के लिए आपरेशन थियेटिर ही बना है। मेडिकल कार्डियोलाजिस्ट भी अपनी निजी क्लीनिक में हृदय के मरीजों की जांच तो कर रहे हैं, लेकिन आपरेशन केवल दूसरे बड़े नगरों में ही हो पा रहे हैं।

डॉक्टर के मुताबिक हृदय घात या हृदय से संबंधित बीमारी लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण बढ़ रही है। एक जगह पर अधिक समय पर बैठकर काम करना, फैट और ज्यादा तेल, मसाले वाले भोजन का उपयोग, कसरत नहीं करना और बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का सेवन करने सहित अन्य कारणों से दिल का मर्ज बढ़ रहा है। समय पर सही उपचार नहीं मिलने से हृदय घात आने पर व्यक्ति की मौत तक हो जाती है।

जिला अस्पताल में पदस्थ आरएमओ डॉ. पुरूषोत्तम सूर्या ने बताया है कि हृदय घात (दिल का दौरा) आने के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। बताया कि सामान्यत: छाती, बांह या उरोस्थि के नीचे असहजता, दबाव, भारीपन, जकडऩ, दबाव या दर्द होना दिल का दौरा पडऩे के संकेत है। इसी तरह पेट भरा लगना, अपच या घुटन जैसा महसूस होना, यह सीने में जलन जैसा महसूस होना, पसीना आना, पेट खराब होना, उल्टी या चक्कर आना, कमजोरी लगना, चिंता, थकान, या सांस लेने में तकलीफ होना, तेज या असमान दिल की धडकऩ होना भी दिल का दौरा आने के लक्षण हैं। इन लक्षणों के महसूस होने पर शीघ्र ही विशेषज्ञ डाक्टर से जांच करानी चाहिए।

ठंड के दिनों में बरतें अधिक सावधानी
डॉ. सूर्या का कहना है कि ठंड के दिनों में धूम्रपान और शराब का सेवन दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। ठंड में शरीर की रक्त वाहिनियां पहले से ही संकुचित होती हैं और धूम्रपान से यह स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके अलावा शराब का अधिक सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, जिससे दिल का दौरा पडऩे का खतरा बढऩे लगता है। उन्होंने बताया है कि ठंड के मौसम में बाहर निकलने का समय सीमित रखें। बाहर जाते समय कई परतों में गर्म कपड़े पहना चाहिए। साथ ही सिर और हाथों को ढकने के साथ गर्म मोजे और जूते पहनना चाहिए।कानों को भी अच्छे से ढंकना चाहिए। उन्होंने बताया है कि गर्म कपड़े पहनने और फिर शारीरिक गतिविधि में सम्मिलित होने से ज्यादा गरमी हो सकती है। ज्यादा गरमी की वजह से रक्त वाहिकाएं अचानक फैल जाती हैं या चौड़ी हो जाती हैं जो हृदय रोग होने पर निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है।

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