बताया कि राज्य शासन के आदेश पर शालाओं के विकास और नियमित संचालन के लिए राज्य शिक्षा केंद्र से शालावार राशि आवंटित की जाती है। इसकी निकासी पालक शिक्षक संघ ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से करता है। इस ऑनलाइन पेमेंट के लिए एक चेकर, मेकर एक अप्रूवल की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया के पूरा होते ही राशि संबंधित वेंडर के खाते में चली जाती है। यह प्रक्रिया पिछले तीन वर्षों से गुप्त रूप से अपनाई जा रही है। देखने में आया है कि वेंडर को भुगतान तो हो रहा है, लेकिन सामग्री शाला पहुंच ही नहीं रही है।
निजी खाते में जा रही राशि
बताया कि सिवनी जिले में संचालित चार हजार से अधिक शालाओं में से आधे संस्था प्रमुखों को यह आवंटित राशि निकालने की प्रक्रिया ही नहीं पता। इसके लिए वे लेखापाल, जन शिक्षक, तकनीकी विशेषज्ञों का सहारा लेते हैं और यह बुद्धिजीवी लोग पालक शिक्षक संघ की आधी राशि का दुरुपयोग कर स्वयं के खाते में डाल लेते हैं। इस प्रकार राशि के दुरुपयोग की यदि जांच की जाए तो जिले के शालाओं को प्राप्त करोड़ों की आवंटित राशि रास्ते में ही गायब हो रही है एवं सैंकड़ो हिस्सेदार सामने आ रहे हैं।
पत्र सौंपकर कहा कि उक्त मामले में जांच कराई जाए, इससे स्पष्ट पता चल जाएगा कि एक ही मोबाइल से अनेकों बार चेकर-मेंकर बना लिए हैं। जिले के कम से कम 500 संस्था प्रमुखों को पासवर्ड ही नहीं पता, लेकिन उनकी संस्था की राशि नियमित रूप से निकल जा रही है। आखिर किस मोबाइल से ओटीपी की राशि निकाली जा रही है। यह जांच का विषय है।
आजाद अध्यापक शिक्षक संघ जिला इकाई ने डीपीसी को ज्ञापन सौंपकर इस विषय में सूचना देकर कार्रवाई की उम्मीद जताई है। शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष ने बताया कि सैकड़ो शिक्षकों की शिकायत उनके पास है कि शाला में कितनी राशि आती है, शाला की राशि कौन निकालता है, पता ही नहीं। इस मामले में ज्यादा जानकारी लेने पर जिम्मेदारों द्वारा वित्त में फंसने की धमकी, सस्पेंड होने का डर दिखाया जाता है। हजारों की संख्या में शिक्षक डर के साए में अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं।
निर्माण की राशि पर तय है कमीशन
जिला अध्यक्ष ने बताया कि शासन से शासकीय शालाओं के लिए निर्माण कार्यों में जो राशि आवंटित होती है, उसमें भी 50 प्रतिशत राशि का ही उपयोग हो पाता है। इंजीनियर, अधिकारी, राशि निकालने वाला तथा ठेकेदार अपने-अपने हिस्से लिए बैठे हुए हैं। सीसी जारी करने का इंजीनियर का 10 प्रतिशत का नियम तय है। कहा कि जब शासन से 20 प्रतिशत संस्थाओं के प्रतिवर्ष ऑडिट के निर्देश हैं, तो किसके संरक्षण में 60-70 प्रतिशत संस्थाओं की प्रतिवर्ष ऑडिट किया जा रहा हैं। उदाहरण है सर्व शिक्षा अभियान सत्र 2023-24 का ऑडिट। संगठन का आरोप है कि ऑडिट के नाम पर शिक्षकों को डरा-धमकाकर अवैध वसूली प्रत्येक विकासखंड के लेखपालए, वित्त से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी कर रहे हैं। आश्चर्य जाहिर करते कहा कि इतना सबकुछ होने पर भी विभाग प्रमुख को कोई संज्ञान नही रहता है। कलेक्टर से कहा कि शिक्षा व्यवस्था में यदि वास्तव में सुधार किया जाना है, तो इस ओर ध्यान दिया जाना भी जरूरी है।