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स्वच्छ ऊर्जा सुधार पाएगी वायुमंडल की सेहत को, कदमताल काफी नहीं

चेन्नई. दिल्ली और राजस्थान समेत उत्तर भारत में जो प्रदूषण का स्तर बना है उसे देखते हुए हरित और स्वच्छ ऊर्जा की महत्ता और बढ़ गई है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा को लेकर 2030 का जो लक्ष्य तय किया गया है उसकी ओर चहलकदमी करना ठीक नहीं होगा। अब समय आ चुका है कि लक्ष्य […]

चेन्नईNov 22, 2024 / 11:12 am

P S VIJAY RAGHAVAN

Green energy

चेन्नई. दिल्ली और राजस्थान समेत उत्तर भारत में जो प्रदूषण का स्तर बना है उसे देखते हुए हरित और स्वच्छ ऊर्जा की महत्ता और बढ़ गई है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा को लेकर 2030 का जो लक्ष्य तय किया गया है उसकी ओर चहलकदमी करना ठीक नहीं होगा। अब समय आ चुका है कि लक्ष्य की तरफ सरपट दौड़ लगाई जाए।

सामान्यत: ऊर्जा के विभिन्न स्रोत विभिन्न देशों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं जिनमें जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा प्राप्त करने के मौजूदा तरीके के नतीजतन पारिस्थितिक संतुलन में गिरावट और गड़बड़ी आ रही है। एक और चिंता जीवाश्म ईंधन के जलने की वजह से हवा में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों का निकलना है जिसका जीव-जंतुओं और पर्यावरण पर ख़राब असर पड़ता है। इनका नकारात्मक प्रभाव समुद्र में अम्ल बढ़ना, लंबे समय तक हीट वेव, चक्रवातों की आवृत्ति बढ़ना, भूस्खलन, बाढ़, ग्लोबल वार्मिंग, वायु एवं जल प्रदूषण, जैव विविधता का नुकसान और लोगों की सेहत में गिरावट आदि के रूप में देखा जा सकता है।

एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स

इस संबंध में विश्व आर्थिक मंच के एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स (ईटीआई) के नजरिए से 2024 में हुई 120 देशों की समीक्षा में 63वीं रैंक पर है, जो कि अच्छी िस्थति नहीं है। ऊर्जा प्राप्ति के स्रोतों को बेहतर कर ही भारत इसमें अपनी छवि सुधार सकता है।

भारत की क्षमता
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार 30 सितंबर 2024 तक भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी पनबिजली परियोजनाओं समेत) 201.46 गीगावॉट थी। इसमें राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में आधे से थोड़ा अधिक योगदान देते हैं। 2024-25 के दौरान योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने 191 अरब रुपए का आवंटन किया है।
नव. ऊर्जा स्रोत स्थापित क्षता

सौर ऊर्जा 90.76 गीगावॉट
पवन ऊर्जा 47.36 गीगावॉट

बड़ी पनबिजली 46.93 गीगावॉट
बायोमास सह-उत्पादन 10.72 गीगावॉट

लघु पनबिजली परियोजना 5.08 गीगावॉट
कूड़े से बिजली 0.60 गीगावॉट

राजस्थान और तमिलनाडु
भारत में भी कई सौर, पवन, लघु जलविद्युत और जैव-ऊर्जा की परियोजनाओं को लागू किया गया है। पवन ऊर्जा के नजरिए से तमिलनाडु देश में अव्वल है। तमिलनाडु में 10,790 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है जिसके निकट भविष्य में पांच गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। पवन ऊर्जा के अतिरिक्त राज्य सौर ऊर्जा उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। उसकी पाइपलाइन परियोजनाओं के मूर्त रूप लेने पर वह दक्षिण भारत में इस दृष्टि से प्रथम स्थान पर होगा। इसी तरह राजस्थान के थार रेगिस्तान में विकसित भादला सोलर पार्क की क्षमता 2.25 गीगावाट बिजली उत्पादन की है।
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