सामान्यत: ऊर्जा के विभिन्न स्रोत विभिन्न देशों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं जिनमें जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा प्राप्त करने के मौजूदा तरीके के नतीजतन पारिस्थितिक संतुलन में गिरावट और गड़बड़ी आ रही है। एक और चिंता जीवाश्म ईंधन के जलने की वजह से हवा में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों का निकलना है जिसका जीव-जंतुओं और पर्यावरण पर ख़राब असर पड़ता है। इनका नकारात्मक प्रभाव समुद्र में अम्ल बढ़ना, लंबे समय तक हीट वेव, चक्रवातों की आवृत्ति बढ़ना, भूस्खलन, बाढ़, ग्लोबल वार्मिंग, वायु एवं जल प्रदूषण, जैव विविधता का नुकसान और लोगों की सेहत में गिरावट आदि के रूप में देखा जा सकता है।
एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स इस संबंध में विश्व आर्थिक मंच के एनर्जी ट्रांज़िशन इंडेक्स (ईटीआई) के नजरिए से 2024 में हुई 120 देशों की समीक्षा में 63वीं रैंक पर है, जो कि अच्छी िस्थति नहीं है। ऊर्जा प्राप्ति के स्रोतों को बेहतर कर ही भारत इसमें अपनी छवि सुधार सकता है।
भारत की क्षमता
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार 30 सितंबर 2024 तक भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी पनबिजली परियोजनाओं समेत) 201.46 गीगावॉट थी। इसमें राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में आधे से थोड़ा अधिक योगदान देते हैं। 2024-25 के दौरान योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने 191 अरब रुपए का आवंटन किया है।
पवन ऊर्जा 47.36 गीगावॉट बड़ी पनबिजली 46.93 गीगावॉट
बायोमास सह-उत्पादन 10.72 गीगावॉट लघु पनबिजली परियोजना 5.08 गीगावॉट
कूड़े से बिजली 0.60 गीगावॉट राजस्थान और तमिलनाडु