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Bahula Chauth 2023: बहुला चौथ आज, यह है प्रामाणिक कथा

Bahula Chauth 2023: भाद्रपद महीने में भगवान श्रीकृष्ण , श्रीगणेश और गायों की पूजा का विशेष महत्व है। इसके कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ, बोलचौथ और हेरंब संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है। यशोदानंदन श्रीकृष्ण ने अपनी प्रिय गाय को भविष्य में इस तिथि को बहुला चौथ के नाम से जाना जाने का वरदान दिया था तो आइये जानते हैं इसकी पूरी कथा…बहुला चौथ का महत्व और पूजा विधि..।

Sep 03, 2023 / 01:16 pm

Pravin Pandey

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बहुला चौथ व्रत 2023

बहुला चतुर्थी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बहुला नाम की गाय भगवान को बहुत प्रिय थी, और उसकी भगवान से भक्ति अटूट थी। लेकिन उसकी परीक्षा के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उसे वरदान दिया था कि अब से भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्थी को बहुला चौथ के नाम से जाना जाएगा। साथ ही जो भी व्यक्ति इस दिन गायों की पूजा करेगा, उसे धन और संतान सुख प्राप्त होगा। इस वर्ष बहुला चतुर्थी व्रत 03 सितंबर रविवार को मनाया जा रहा है।

मान्यता है कि बहुला चौथ व्रत बहुला चौथ निसंतान को संतान प्राप्ति कराता है और संतान के कष्टों को हरने वाला है। साथ ही धन-धान्य भी प्रदान करता है। इस व्रत को करने से श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलता है। इससे सभी लौकिक और पारलौकिक सुख प्राप्त होते हैं।

बहुला चौथ की पूजा विधि
1. बहुला या संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान कर साफ वस्त्र धारण करें।
2. इस दिन भगवान का ध्यान कर दिनभर निराहार व्रत रखकर शाम को गाय और बछड़े की पूजा करें।
3. शाम को पूजा के लिए बनाए गए पकवान भगवान गणेश और श्रीकृष्ण को अर्पित करें।

4. बाद में इस भोग को गाय और बछड़े को खिला दें।
5. पूजा के बाद दाएं हाथ में चावल के दाने लेकर बहुला चौथ की कथा सुननी चाहिए।
6. बाद में गाय और बछड़े की प्रदिक्षणा कर सुख-शांति की प्रार्थना करनी चाहिए।
7. चंद्रमा के उदय होने के बाद जल में दूध मिलाकर अर्घ्य देकर चंद्रदेव से घर की सुख-शांति की प्रार्थना करें।

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प्रामाणिक बहुला चौथ कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कृष्णजी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नंद की गोशाला में प्रवेश किया था। यहां कृष्णजी को यह गाय बेहद पसंद आई, वे हमेशा उसके साथ समय बिताते थे। इधर, बहुला का एक बछड़ा भी था, जब बहुला चरने के लिए चली जाती तो बछड़ा उसे बहुत याद करता था। एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई तो चरते चरते काफी आगे निकल गई और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देखकर खुश हो गया और अपना शिकार बनाने की सोचने लगा।

बहुला डर गई और उस समय उसे अपने बछड़े का ख्याल आया। शेर जैसे ही उसकी ओर बढ़ा, बहुला ने शेर से कहा कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे जाने दे वह अपने बछड़े को दूध पिलाकर लौट आएगी, तब वो उसे अपना निवाला बना ले। शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी बात पर विश्वास कर लूं? तब बहुला ने किसी तरह उसे विश्वास दिलाया। इस पर शेर ने उसे जाने दिया, बहुला वापस गौशाला पहुंची और बछड़े को दूध पिलाकर लौट आई। शेर उसे देख हैरान हो जाता है।

दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण ही शेर के रूप में बहुला की परीक्षा ले रहे थे। बहुला की सत्यनिष्ठा से कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गए और बहुला से कहा कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ। तुम परीक्षा में सफल रही। भविष्य में समस्त मानव जाति द्वारा भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी और समस्त जाति तुमको गौमाता कहकर संबोधित करेगी, जो भी ये व्रत रखेगा उसे सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्य और संतान की प्राप्ति होगी।

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