scriptPutrada Ekadashi 2025: संतान को सुखी देखना चाहते हैं तो ऐसे करें पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा | Putrada Ekadashi 2025 bhagwan vishnu ki puja santan prapti ya unke axche bhavishya ki kamana ke lie ki jati hai hindi | Patrika News
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Putrada Ekadashi 2025: संतान को सुखी देखना चाहते हैं तो ऐसे करें पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा

Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत संतान के जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। इस दिन दंपत्ति भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति या संतान के प्रकाशमय भविष्य की कामना करते हैं।

जयपुरJan 04, 2025 / 12:45 pm

Sachin Kumar

Putrada Ekadashi 2025
Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता-पिता अपनी संतान के उज्जवल भविष्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें व्रत और पूजा?

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और उनकी समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से दंपति को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही जिनके बच्चे हैं। उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए भी यह व्रत शुभ फल देने वाला होता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

स्नान और संकल्प- पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। इसके बाद नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा- पूजा स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र लगाएं। इसके बाद उन्हें पीले फूल, तुलसी पत्र, फल, और मिष्ठान अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम और कथा पाठ- इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और पुत्रदा एकादशी की कथा सुनें या पढ़े।

निर्जला या फलाहार व्रत- दिनभर निर्जला व्रत रखें। यदि स्वास्थ्य कारणों से निर्जला व्रत संभव न हो, तो फलाहार कर सकते हैं।
रात्रि जागरण और भजन कीर्तन- पुत्रदा एकादशी के शुभ अवसर पर रात को जागरण करना और भगवान विष्णु के भजन गाना शुभ माना जाता है।

पुत्रदा एकादशी का फल

पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा और व्रत करने से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। साथ ही अपने बच्चों की दीर्घायु और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह व्रत जीवन में सकारात्मकता लाता है और सभी कष्टों को दूर करता है।

इन बातों का रखें ध्यान

पुत्रदा एकादशी व्रत के दौरान सात्विक आहार का पालन करें।
व्रत के अगले दिन द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
भगवान विष्णु की आराधना में पूरी श्रद्धा और विश्वास रखें।

पुत्रदा एकादशी कथा

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भद्रावती नगर के राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या को कोई संतान नहीं थी। उन्होंने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया, जिससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न हुए और उन्हें योग्य संतान का वरदान दिया।

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