scriptSaints Samadhi: साधु-संन्यासियों का दाह संस्कार क्यों नहीं होता? क्यों दी जाती है समाधि | Saints Samadhi sadhuon ko kyon di jati hai bhu samadhi janie Rahsya in hindi | Patrika News
धार्मिक तथ्य

Saints Samadhi: साधु-संन्यासियों का दाह संस्कार क्यों नहीं होता? क्यों दी जाती है समाधि

Saints Samadhi: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार साधु-संन्यासियों को समाधि देना उनके मोक्ष की यात्रा को दर्शाता है। इसके साथ ही साधना और तपस्या के प्रति समाज में श्रद्धा और प्रेरणा का संचार होता है।

जयपुरJan 06, 2025 / 12:23 pm

Sachin Kumar

Saints Samadhi
Saints Samadhi: सनातन धर्म में साधु-संतों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। क्योंकि ये भगवान की तपस्या और समाज सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। सांसारिक लोगों के बीच में इनकी छवि अत्यंत पवित्र और शुद्ध विचार वाली होती है। लेकिन इनके जीवन के कुछ कार्य हिंदू धर्म या आमजन से विमुख होते हैं। जैसे हिंदू धर्म में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद दाह संस्कार किया जाता है। लेकिन वहीं साधु-सन्यासियों को दाह संस्कार की जगह सामधि दी जाती है। आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है?

शरीर का आध्यात्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार साधु-संन्यासी अपने शरीर को आत्मा के वाहन के रूप में मानते हैं। उनके लिए शरीर केवल तपस्या और साधना का माध्यम होता है। समाधि में उनका शरीर भूमि में दफन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर प्रकृति में वापस विलीन हो जाता है।

अग्नि संस्कार की नहीं आवश्यकता

साधु-संन्यासी को जीवित अवस्था में ही जन्म मरण के बंधनों से मुक्त माना जाता है। क्योंकि वे सभी सांसारिक बंधनों और रिश्तों को त्याग देते हैं। वे मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। इसलिए उन्हें अग्नि संस्कार की आवश्यकता नहीं होती।

धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

साधु-संन्यासियों को समाधि देने की प्रक्रिया उनके तप और ज्ञान के प्रति सम्मान को दर्शाती है। उनके द्वारा चुने गए स्थान पर या जहां उनका आश्रम होता है। वहीं समाधि दी जाती है। यह उनकी ऊर्जा और आशीर्वाद को स्थायी रूप से संरक्षित करने का प्रतीक है।

क्यों दी जाती है समाधि

हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर संन्यास लेता है। वह सांसारिक क्रियाओं से ऊपर उठ जाता है। इसलिए उनके दाह संस्कार की बजाय उन्हें समाधि देना शास्त्रसम्मत कार्य है। यही वजह है कि साधु-सन्यासियों को दाह संस्कार की बजाय समाधि दी जाती है।

समाधि देने की प्रक्रिया

साधु-संन्यासी को उनकी मृत्यु के बाद जमीन के अंदर एक गढ्ढा खोद कर उसे पवित्र किया जाता है। इसे बाद उनको ध्यान मुद्रा में बैठाया जाता है। कई बार उनके अनुयायी वहां मंदिर या स्मारक का निर्माण भी कराते हैं।

समाधि का महत्व

समाधि स्थल को श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा स्थल माना जाता है। वहां ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त ऊर्जा होती है। यह स्थान आध्यात्मिक साधना और शांति प्राप्त करने का माध्यम बनता है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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