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Mata Lakshmi: उल्लू कैसे बना धन की देवी का वाहन, जानिए रोचक कहानी

Mata Lakshmi: हिंदू धर्म में उल्लू का विशेष महत्व है। क्योंकि जहां उल्लू दिखाई देता है। वहां माता लक्ष्मी का आगमन होता है।

जयपुरDec 31, 2024 / 12:59 pm

Sachin Kumar

Mata Lakshmi
Mata Lakshmi: उल्लू, जिसे मूर्खता का प्रतीक माना जाता है या कई बार यह शब्द मूर्ख व्यक्ति के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन असल में यह एक पंक्षी का नाम है, जो सभी पंक्षियों में बुद्धिमान निशाचारी प्राणी है। हिंदू धर्म में यह धन की देवी का वाहन भी है। आईए जानते हैं उल्लू कैसे बना धन की देवी का वाहन?

उल्लू सबसे बुद्धिमान प्राणी

आज भी अधिकतर लोग उल्लू नाम का मतलब अज्ञानता और मंद बुद्धि समझते है। जबकि यह धारणा बिलकुल गलत है। क्योंकि उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचारी प्राणी है। धार्मिक मान्यता है उल्लू को भूत और भविष्य का पहले से ही पता होता है।
भारतीय संस्कृति में उल्लू को शुभता और धन सपंत्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा कुछ तांत्रिकी प्रवृत्ति के लोग इसका इस्तेमाल तांत्रिक विद्या के लिए भी करते हैं। खासकर उल्लू को लेकर देश में अलग-अलग धारणाएं हैं। क्योंकि कई लोग अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए किसी पर्व या त्योहार पर उल्लू की बलि भी चढ़ा देते हैं, जो कि धर्म शास्त्र के अनुसार एकदम गलत और घोर पाप का काम है। जो लोग ऐसा करते हैं उनके घर कभी माता लक्ष्मी का वास नहीं होता।

उल्लू की खासियत

उल्लू की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसे रात के घोर अंधेरे में दिखाई देता है। जिस वक्त पूरी दुनिया सो रही होती है, उस वक्त उल्लू जग रहा होता है। यह अपनी गर्दन को 170 डीग्री तक घुमा लेता, अन्य कोई दूसरे पंक्षी में ये गुण नहीं हैं। धार्मिक मान्यता है कि उल्लू हू हू हू की आवाज में मंत्र उच्चारण करता है।

कैसे बना उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकबार सभी देवी-देवता प्राणी जगत की संरचना करने के लिए पृथ्वी पर आए हुए थे। जब यह दृश्य धरती पर रहने वाले पशु-पक्षियों ने देखा तो उन्होंने कहा कि आप सभी देवी-देवताओं को पैदल धरती विचरण करते देख हमें अच्छा नहीं लग रहा। आप पूरी पृथ्वी पर जहां जाना चाहते हैं हम आपको लेकर चलेंगे। हम सभी पर कृपा करें और अपने वाहन के रूप में हमको अपनाएं। जिससे हम सभी धन्य हो जाएंगे।

माता लक्ष्मी नहीं चुन पाईं अपना वाहन

मान्यता है कि पशु-पक्षियों की बात को मानकर सभी देवी-देवताओं ने उनको अपने वाहन के रूप में स्वीकर लिया। लेकिन जब माता लक्ष्मी की बारी आई तो वह विवधान में पड़ गईं कि किसको अपना वाहन चुना जाए। इसके बाद सभी पशु-पक्षियों में धन के देवी की सवारी बनने की जिद होने लगी। हर कोई उनका वाहन बनना चाहता था। यह देखकर माता लक्ष्मी चिंता में पड़ गईं। जैसे-तैसे लक्ष्मी जी ने उनको शांत कराया।

माता ने की उल्लू का प्रर्थना स्वीकार

इसके बाद माता लक्ष्मी ने उनको बड़े सोच-विचार के साथ कहा कि हर साल मैं अमावस्या के दिन धरती पर आती हूं। उस दिन आप सभी में से किसी एक को अपने वाहन के रूप में चुनुंगी। मान्यता है कि कार्तिम अमावस्या के दिन सभी पशु-पक्षी माता को देखने के लिए राह देखने लगे। लेकिन माता लक्ष्मी रात्रि को पृथ्वी पर आईं, जिनको केवल उल्लू ही देख पाया। वह तीव्र गति से माता के पास गया और वाहन बनने की प्रर्थना करने लगा।
जब अपने चारों ओर देखा तो उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया और उल्लू को अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया, तभी से मान्यता है कि धन की देवी को उलूक वाहिन के नाम से भी जाना जाता है।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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