दर्ज प्रकरण के मुताबिक 4 वर्षीय पीड़िता ने पूरा वाक्य अपनी मां को बताया कि पास ही रहने वाले दादा ने चॉकलेट देने के बहाने उसे अपने पास बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मासूम की तबीयत बिगडऩे पर उसकी मां ने 13 अक्टूबर को मंदिर हसौद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। 14 अक्टूबर को पुलिस ने कृष्णा चंद्राकर को गिरफ्तार किया। कोर्ट में आरोपी कृष्णा चंद्राकर ने अपने कृत्यों को अस्वीकार किया और अपनी ओर से दो गवाह पेश किए। सबूतों के आधार पर कोर्ट ने कृष्णा चंद्राकर को नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाया और बीते 18 नवंबर को उसे 50 हजार रुपए के अर्थदंड के साथ 20 साल सश्रम कारावास की सजा दी।
प्रदेश में पहली बार इतनी जल्द पॉस्को एक्ट मामले की सुनवाई हुई, जिसकी जांच तेलीबांधा थाने की सब इंस्पेक्टर दिव्या शर्मा ने की। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से पुरस्कृत किया गया। नाबालिग से दुष्कर्म की यह दूसरी कार्रवाई है, जिसमें कोर्ट ने 37 दिनों में ही फैसला सुना दिया। मामले में जांच जल्द करने की वजह से ही कोर्ट ने केवल 37 दिन में ही अपना फैसला सुनाया है।
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