खेल बिगाड़ने वाले कर सकते हैं खेला
मुंबई शहर और मुंबई उपनगरीय दो जिलों में 6 लोकसभा सीटों की 36 विधानसभा सीटों पर मुख्यतः भाजपा और
शिवसेना शिंदे का शिवेसना उद्धव और कांग्रेस के साथ कांटे का मुकाबला है। सघन और पूरी तरह से शहरी आबादी वाली इन सीटों पर इस बार प्रत्याशियों की संख्या भी काफी सघन है। महायुति और महाविकास अघाड़ी की 6 पार्टियों के अलावा एमएनएस, सपा, एआईएमआईएम, बहुजन विकास अघाड़ी, वंचित बहुजन अघाड़ी मैदान में हैं। इनके अलावा अच्छी खासी संख्या में सभी दलों के बागी और प्रायोजित निर्दलीय महायुति और महा विकास अघाड़ी के प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ने में जुटे हैं। ऐसे उम्मीदवार कांटे की टक्कर में किसी के साथ खेला कर सकते हैं।
पिछले चुनावों से अलग है इस बार का मुकाबला
शिवसेना और एनसीपी टूटने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव पर लोकसभा चुनावों के नतीजों का ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा। इस बार इन 36 में से सबसे ज्यादा 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही शिवसेना उद्धव 11 सीटों पर शिंदे से तो 8 सीटों पर भाजपा से लोहा ले रही है।
भाजपा 17 सीटों पर लड़ रही है, जिनमें से 7 सीटों पर उसके सामने कांग्रेस है। महायुति और महा विकास अघाड़ी में से मुंबई में कौन आगे रहेगा यह भाजपा और शिवसेना उद्धव के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। मतदाता तो कुरेदने पर भी इताना ही कहता है, कुछ भी हो सकता है।
पुराने चेहरों की भरमारः नफा या नुकसान
सभी पार्टियों ने बागियों के डर से 7 सीटों को छोड़ कर 2019 में जीते अपने विधायकों को टिकट दिए हैं। पुराने चेहरों के प्रति मतदाता की नाराजगी का जोखिम हर दल ने उठाया है। इसका नुकसान होगा या नहीं, यह नतीजे बताएंगे। लोकसभा चुनाव में महायुति के समर्थन में रही राज ठाकरे की एमएनएस ने 36 में से 21 सीटों पर ताल ठोक कर दोनों गठबंधनों को चिंता में डाल रखा है। राज की चिंता अघाड़ी में ज्यादा है, क्योंकि लोकसभा में उसकी 36 में से 21 सीटों पर बढ़त थी। एमएनएस ने भाजपा, शिवसेना शिंदे और शिवसेना उद्धव ही नहीं, सपा, एनसीपी शरद पवार एनसीपी अजित हर पार्टी के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं।
मायावी प्रचार में महायुति कोसों आगे
मायानागरी में चुनाव प्रचार भी हाईटेक नजर आया। हर सड़क के दोनों ओर ऊंची-ऊंची इमारतों से प्रतिस्पर्धा करते चमक-दमक वाले होर्डिंग लगे हैं। डिवाइडर पर लगे खम्भे भी प्रचार सामग्री से लकदक है। प्रचार सामग्री से सजे महंगे वाहन जहां-तहां दिखाई पड़ रहे हैं। प्रचार में महायुति के साझेदार शिवेसना शिंदे और भाजपा एमवीए से कहीं आगे है। सरकार की ओर से पिछले छह माह में शुरू की गई योजनाओं लाडकी बहन और मुंबई में छोटे निजी वाहनों को टोल फ्री किए जाने का बखान होर्डिंग्स पर साया है। एमवीए तो इस होड़ में एमएनएस से भी पीछे लग रहा है। एमवीए की प्रचार सामग्री प्रत्याशियों के कार्यालयों पर टंगी ज्यादा दिखी।