शुरू हों प्रत्यक्ष करदाताओं के लिए खास योजनाएं
सरकार को प्रत्यक्ष कर देने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक अभियान चलाना चाहिए। उनके लिए अलग से वेलफेयर स्कीम्स, जैसे अस्पतालों, रेलवे या एयर टिकट में कोटा फिक्स किया जा सकता है। जो व्यक्ति लंबे समय से प्रत्यक्ष अदा करता आ रहा है, उसके लिए रिटायरमेंट प्लान भी सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए।
Income Tax Department of India
विजय गर्ग
आर्थिक विशेषज्ञ और भारतीय एवं विदेशी कर प्रणाली के जानकार
भारत एक विशाल देश है, देश की आबादी 140 करोड़ से अधिक है, लेकिन विडंबना यह है कि इतनी बड़ी आबादी में मात्र 7.5 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं। इनमें भी मात्र डेढ़ से 2 करोड़ लोग ही प्रत्यक्ष रूप से इनकम टैक्स देते हैं। भारत सरकार लगातार यह कोशिश कर रही है कि प्रत्यक्ष कर देने वाले लोगों की संख्या अधिक से अधिक बढ़े, लेकिन ऐसे करदाताओं को किसी प्रकार की कोई विशेष सुविधा भारत सरकार की तरफ से नहीं मिलती है। ऐसे में भारत में आयकरदाताओं की संख्या में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही।
लोग कर देने की बजाय कर से बचने की ज्यादा कोशिश ज्यादा करते हैं। भारत में टैक्स को लेकर नियम और कानून बने हुए हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत भारत सरकार टैक्स की वसूली करती है। प्रत्यक्ष कर सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है। यह मुख्य रूप से व्यक्ति, कंपनी और संस्थाओं की आय पर लगता है, जिसका निर्धारण आय के प्रकार और उसकी सीमा के अनुसार होता है।
सरकार आयकर दरों में हर वित्तीय वर्ष में बदलाव भी करती है। आयकर की स्लैब्स के अलावा सरकार सुपर रिच सेस भी ले रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की आयकर स्लैब को देखें तो 5 करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक आय पर सरकार 30 प्रतिशत टैक्स के अलावा 37 प्रतिशत का अतिरिक्त सेस और 4 प्रतिशत का स्वास्थ्य व शिक्षा सेस लगाती है। यानी अधिक आय पर अधिक टैक्स की वसूली सरकार की ओर से की जा रही है। विशेष रूप से सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स का प्रावधान किया है, जिसमें कंपनियों के लिए टैक्स की दरें अलग से निर्धारित हैं। जैसे, जो कंपनी प्रतिवर्ष 400 करोड़ की आय अर्जित करती है, उसे 25 प्रतिशत टैक्स देना होता है। अन्य कंपनियों को 30 प्रतिशत टैक्स देना होता है। भारत सरकार का आयकर विभाग कंपनियों का ऑडिट करने को स्वतंत्र होता है और यदि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा आयकर में कोई गड़बड़ी या अनियमितता पाई जाती है तो आयकर विभाग जांच करता है। दोषी पाए जाने पर दंड और सजा का प्रावधान है। भारत सरकार की टैक्स से आमदनी की बात करें तो प्रत्येक वर्ष अरबों रुपए का राजस्व सरकार को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से 40 लाख करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसमें प्रत्यक्ष करों में व्यक्तिगत आयकर और फर्मों से 14.5 लाख करोड़ रुपए, जबकि कॉरपोरेट टैक्स से 9 लाख करोड़ रुपए तक मिलने की उम्मीद है।
दुनिया के अन्य देशों की बात करें तो ज्यादातर देशों में रिटायर लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई गई हैं। स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया ऐसे देश हैं, जहां बहुत अच्छी रिटायरमेंट पेंशन प्रणाली उपलब्ध है। नॉर्वे की बात करें तो यहां सरकार यह सुनिश्चित करती है कि रिटायरमेंट के बाद लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिले। सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल का ख्याल भी रखा जाता है। सरकार को सोचना चाहिए कि ऐसा आयकरदाता जो पिछले कई सालों से भारत सरकार को करों का भुगतान कर देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रहा है, उसे आर्थक संकट और वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा मिले। आयकरदाता के सुरक्षित भविष्य और वृद्धावस्था में आवश्यक मदद की योजनाओं पर काम करना होगा। भारत में सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन का प्रावधान है, लेकिन देश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है। भारत सरकार बड़ी आबादी के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं, जिसमें वृद्धावस्था पेंशन जैसी कई योजनाएं शामिल हैं, लेकिन आज के दौर में इस योजना के तहत मिलने वाला मासिक पैसा ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है। निश्चित रूप से भारत सरकार का दायित्व है कि वह सभी लोगों का ख्याल रखे। उनके लिए विभिन्न योजनाएं संचालित करें। साथ ही देश की प्रगति और उन्नति में भागीदार बन रहे आयकरदाताओं के लिए सरकार की तरफ से कुछ विशेष सुविधा दी जानी चाहिए।
जो व्यक्ति जीवन भर सरकार और देश को चलाने के लिए अपनी गाढ़ी पूंजी से 25-30 प्रतिशत टैक्स देता आ रहा है, उसका ख्याल सरकार नहीं रख रही है। जो डेढ़ से 2 करोड़ प्रत्यक्ष टैक्स देने वाले लोग हैं, उनके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। उन्हें कुछ विशेष सुविधाएं मिलनी चाहिए। जो लोग प्रत्यक्ष कर दे रहे हैं, उनको अलग से सूचीबद्ध किया जा सकता है। इनके अलग से पहचान पत्र जारी किए जा सकते हैं। सरकार डायरेक्ट टैक्स देने वालों को समय-समय पर सम्मानित कर सकती है, ताकि लोगों को पता चले कि ये लोग प्रत्यक्ष कर देकर देश के विकास में मदद कर रहे हैं। विडंबना यह है कि जो व्यक्ति जीवन भर सरकार का खजाना भरता आ रहा है, उसके लिए कुछ भी विशेष प्रावधान नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। विकसित देश तभी बनेगा, जब देश की बड़ी आबादी प्रत्यक्ष कर देने के योग्य बनेगी। इसके लिए खास प्रयास करने होंगे। यदि सरकार का टैक्स कलेक्शन कम होगा और सरकार बाहर से उधार लेकर काम चलाएगी तो विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। सरकार को प्रत्यक्ष कर देने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक अभियान चलाना चाहिए। उनके लिए अलग से वेलफेयर स्कीम्स, जैसे अस्पतालों, रेलवे या एयर टिकट में कोटा फिक्स किया जा सकता है। जो व्यक्ति लंबे समय से प्रत्यक्ष अदा करता आ रहा है, उसके लिए रिटायरमेंट प्लान भी सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए। यदि सरकार ऐसे ठोस कदम उठाती है तो न केवल विकसित भारत का सपना पूरा होगा, बल्कि टैक्स देने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे आएंगे। टैक्स चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। भारत एक आर्थिक रूप से संपन्न देश भी बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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