करुणा हमें आंतरिक शक्ति देती है। यह हमें आत्मविश्वास देती है, जिससे भय कम होता है। इस तरह हमारा दिमाग भी शांत रहता है। आधुनिक युग में हम बाहरी विकास पर अत्यधिक सोचते हैं, लेकिन दुखी रहते हैं। साफ है कि बाहरी विकास पर्याप्त नहीं है। वास्तविक सुख और संतुष्टि भीतर से आनी चाहिए। उसके लिए बुनियादी तत्व हैं करुणा और स्नेह। जीवन में करुणा का विकास किए बिना जीवन में सुख का अनुभव नहीं किया जा सकता। इसलिए क्रोध से बचें और स्वभाव में करुणा को स्थान दें।