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जॉब देने से पहले कंपनियां इस तरह भी लेती हैं ‘फेक एरर’ इंटरव्यू, जानिए क्यों है कठिन

भोजन परोसने वालों को पहले से ही गुप्त रूप से कह दिया जाता है कि वे कैंडिडेट के ऑर्डर में गड़बड़ी कर दें।

Jun 20, 2019 / 12:16 pm

सुनील शर्मा

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कई कंपनियां इनोवेटिव इंटरव्यू आयोजित करती हैं। कैंडिडेट को लंच इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। भोजन परोसने वालों को पहले से ही गुप्त रूप से कह दिया जाता है कि वे कैंडिडेट के ऑर्डर में गड़बड़ी कर दें। इंटरव्यूअर देखना चाहते हैं कि कैंडिडेट किस तरह से अपनी प्रतिक्रिया देता है। कैंडिडेट इंटरव्यू के दौरान जताता है कि वह सही तरह से चीजों को मैनेज कर सकता है पर असल दुनिया में कैंडीडेट के व्यवहार को परखा जाए तो वे झूठी प्रतिक्रिया नहीं दे पाते और सच्चाई सामने आ जाती है।

कौनसा तरीका सही
वर्ष 2016 में चाल्र्स श्वाब के चीफ एग्जीक्यूटिव वॉल्ट बेटिंगर कैंडिडेट्स से ब्रेकफास्ट के दौरान मिले। बेटिंगर ने रेस्त्रां मैनेजर के साथ मिलकर एडवांस में ही कुछ खास गलतियां करवा दी थी ताकि पता लगे कि कैंडिडेट इन पर किस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। क्या वे अपसेट हो जाते हैं, चिढ़ जाते हैं या चीजों को समझने की कोशिश करते हैं? हालांकि इस विषय पर भी बहस हो सकती है कि क्या झूठी गलतियां दिखाकर कैंडिडेट के व्यवहार को जांचना पारदर्शी तरीके के तहत आता है? क्या इससे कैंडिडेट के व्यवहार के बारे में वाकई सब पता लग पाता है? क्या रेस्टोरेंट में कैंडिडेट का गलत भोजन परोसने पर सही व्यवहार करना, यह साबित नहीं करता है कि वह चीजों पर ध्यान नहीं देता है?

कलीग्स से बात करें
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप कंपनी के भावी एम्प्लॉई के चरित्र और व्यवहार को लेकर चिंतित हैं तो उसके साथ काम करने वाले कलीग्स से बात करनी चाहिए और उसके बारे में जरूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इंटरव्यू के दौरान कैंडिडेट को अपने कलीग्स से मिलवाना चाहिए। हर कलीग को कैंडिडेट से बात करनी चाहिए। जितने विविध ग्रुप से कैंडिडेट की मुलाकात करवाएंगे, उतने ही ज्यादा चांस होंगे कि वह ग्रुप कैंडिडेट की ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सके। उसका असल दुनिया का स्ट्रेस टेस्ट करना चाहते हैं तो कैंडिडेट व इंटरव्यूअर दोनों को एक ही पोजीशन पर रखकर प्रक्रिया को पूरी करें।

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