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जयपुर

नेवटा बांध में पहुंच रहा लापरवाही का ‘जहर’

बांध में घटी घुलित ऑक्सीजन, गिरी पानी की गुणवत्ता

जयपुरJul 04, 2021 / 10:20 pm

Bhavnesh Gupta

नेवटा बांध में पहुंच रहा लापरवाही का 'जहर'

नेवटा बांध में पहुंच रहा लापरवाही का ‘जहर’

भवनेश गुप्ता
जयपुर। सरकारी एजेंसियों की लापरवाही इस कदर बढ़ गई है कि बांधों के पानी में ‘जहर’ (प्रदूषण) बढ़ता जा रहा है। शहर आबादी से सटे हुए नेवटा बांध में एक बार फिर ऐसे ही परेशान करने वाले हालात सामने आए हैं। यहां पानी में डिजॉल्वड (घुलित) ऑक्सीजन की मात्रा 0.21 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 0.05 तक पहुंच गई यानि लगभग शून्य की स्थिति। इस पानी को पीना घातक हो सकता है। आस-पास के इलाकों में भूजल की गुणवत्ता भी प्रभावित होने की आशंका है। बांध में लगातार सीवरेज और कैमिकल युक्त पानी पहुंचने के कारण यह स्थिति बन रही है। इसकी जानकारी अफसरों को काफी समय से पहले से है, लेकिन एक्शन की बजाय मूक दर्शक बने रहे। जल संसाधन विभाग भी जिम्मेदारों का पता लगाने का दावा कर रहा पर नतीजा ढाक के तीन पात रहा। एमएनआईटी की रिपोर्ट में भी सीवरेज और औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट का नेवटा बांध के पानी की गुणवत्ता पर असर बताया जा चुका है।

लापरवाही के तीन स्त्रोत :

(1) एसटीपी व सीईटीपी फेल
सांगानेर इलाके में कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बनाया गया है,जहां फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीला पानी परिशोधित होना है। लेकिन यह प्लांट प्रभावी तरीके से संचालित ही नहीं हो पाया और न ही यहां फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी पहुंचाने की कोई प्रभावी व्यवस्था है। नतीजा, फैक्ट्रियों का जहरीला पानी अब भी गूलर बांध में पहुंच रहा है।सांगानेर इलाके में 750 से ज्यादा वस्त्र उद्योग संचालित हैं।
(2) कोर्ट के आदेश ताक पर
हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि गूलर बांध के जरिए बारिश का पानी ही नेवटा बांध में पहुंचे। बारिश के बाद गंदा पानी आना शुरू हो जाता है। अब्दुल रहमान बनाम सरकार एवं रामगढ़ सुओ मोटा बनाम सरकार मामले में भी हाईकोर्ट के इन्हें बचाने के आदेश हैं।
(3) कनेक्शन काटने के बाद भूले
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने हाईकोर्ट के आदेश पर पहले तो फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। डिस्कॉम के जरिए इनका बिजली कनेक्शन काटा गया। लेकिन कुछ समय बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इससे कैमिकल युक्त पानी लगातार बहाया जा रहा है।
खतरा पता, पर मौन
-बीमारी फैलने का खतरा
-भूजल लगातार दूषित हो रहा है, नलकूप में गंदा पानी आ रहा
-सब्जियां, अनाज व अन्य उपज प्रभावित हो रही। खेती की जमीन के खराब
-गंदे पानी में अवैध तरीके से मछली पालन
-बांध के आस-पास निवासियों का रहना मुश्किल
फैक्ट फाइल
-बांध की भराव क्षमता गेज 16 फीट पर 236.72 एमसीएफटी है
-वर्तमान में गेज 11 फीट 7 इंच पर 125.72 एमसीएफटी पानी है
-बांध का कुल भराव क्षेत्र 443.583 हेक्टेयर है

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