लापरवाही के तीन स्त्रोत : (1) एसटीपी व सीईटीपी फेल
सांगानेर इलाके में कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बनाया गया है,जहां फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीला पानी परिशोधित होना है। लेकिन यह प्लांट प्रभावी तरीके से संचालित ही नहीं हो पाया और न ही यहां फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी पहुंचाने की कोई प्रभावी व्यवस्था है। नतीजा, फैक्ट्रियों का जहरीला पानी अब भी गूलर बांध में पहुंच रहा है।सांगानेर इलाके में 750 से ज्यादा वस्त्र उद्योग संचालित हैं।
हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि गूलर बांध के जरिए बारिश का पानी ही नेवटा बांध में पहुंचे। बारिश के बाद गंदा पानी आना शुरू हो जाता है। अब्दुल रहमान बनाम सरकार एवं रामगढ़ सुओ मोटा बनाम सरकार मामले में भी हाईकोर्ट के इन्हें बचाने के आदेश हैं।
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने हाईकोर्ट के आदेश पर पहले तो फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। डिस्कॉम के जरिए इनका बिजली कनेक्शन काटा गया। लेकिन कुछ समय बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इससे कैमिकल युक्त पानी लगातार बहाया जा रहा है।
-बीमारी फैलने का खतरा
-भूजल लगातार दूषित हो रहा है, नलकूप में गंदा पानी आ रहा
-सब्जियां, अनाज व अन्य उपज प्रभावित हो रही। खेती की जमीन के खराब
-गंदे पानी में अवैध तरीके से मछली पालन
-बांध के आस-पास निवासियों का रहना मुश्किल
-बांध की भराव क्षमता गेज 16 फीट पर 236.72 एमसीएफटी है
-वर्तमान में गेज 11 फीट 7 इंच पर 125.72 एमसीएफटी पानी है
-बांध का कुल भराव क्षेत्र 443.583 हेक्टेयर है