पहले: सभी विषयों की पुस्तकें ले जानी पड़ती थी पहले विद्यार्थियों को बस्ते में सभी विषयों की सभी पुस्तकें ले जानी होती थी। जैसे सामाजिक विज्ञान के पाठ संख्या दस को शिक्षक दिसम्बर में पढ़ाएगा लेकिन किताब एक ही होने की वजह से उसको जुलाई से ही ले जानी होती थी। यही व्यवस्था अन्य विषयों पर भी लागू थी।
राजस्थान राज्य शिक्षक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर की ओर से विषयवार सामग्री को तीन भागों में बांटा गया। हर भाग में प्रत्येक विषय के कुल पाठ्यक्रम के एक तिहाई पाठों को हर भाग की पुस्तक में शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों को एक ही पुस्तक में सभी विषयों की शिक्षण सामग्री मिल सकेगी।
पांचवीं तक की किताबों में यह नवाचार कक्षा एक व दो : कक्षा एक व दो के बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी व गणित की पहली पुस्तक आओ सीखे भाग एक में तीनों विषय के एक तिहाई भाग की शिक्षण सामग्री शामिल की है। इसी तरह दूसरी पुस्तक आओ सीखे भाग दो अगले एक तिहाई भाग को और तीसरी पुस्तक आओ सीखे भाग तीन में शेष अध्ययन सामग्री को शामिल किया। कक्षा तीन से पांच : कक्षा तीन से पांचवीं तक चार विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित तथा पर्यावरण अध्ययन की पहले, दूसरे तथा तीसरे भाग के लिए एक पुस्तक में ही सभी चारों विषय शामिल। पहले भाग का पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद दूसरे भाग की पुस्तक तथा यह भाग पूरा होने पर अंतिम भाग की पुस्तक स्कूल लानी होगी।
हर साल मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से बस्ते काबोझ कम करने के लिए आदेश आते थे। कमेटी बनते ही आदेश फाइलों में दब जाते, लेकिन हमने मासूमों की पीड़ा समझी और पहली बार बस्ते का बोझ कम करने में सफल रहे। एेसा नवाचार करने वाले राज्यों में राजस्थान अग्रिम पंक्ति में है।
दो वर्ष बाद मिली सफलता : निदेशक इस सत्र से पूरे राजस्थान में हम बस्ते का बोझ कम करने में सफल होंगे। कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए यह कवायद हुई है। विभाग ने बस्ते का वजन लगभग एक तिहाई कम कर दिया है।