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जयपुर

शिक्षकों ने मिलकर बदली स्कूल की दशा

लगाए पौधे, विकसित की वाटिका

जयपुरJul 05, 2021 / 09:02 pm

Rakhi Hajela

शिक्षकों ने मिलकर बदली स्कूल की दशा

शिक्षकों ने मिलकर बदली स्कूल की दशा



जयपुर, 5 जुलाई

गत वर्ष कोविड के कारण स्कूल बंद रहने से खेल मैदानों और परिसरों में झाड़ झंखाड़ उग आए। कई स्कूलों में लगे पेड़ पौधे पानी नहीं मिलने के कारण सूख गए। लेकिन इन सबके बीच शहर का एक स्कूल ऐसा भी था जहां हरियाली अपने पैर पसार रही थी और यह संभव हुआ उस स्कूल के शिक्षकों के प्रयासों से। आज स्कूल में वाटिका विकसित हो चुकी है जो दूसरे स्कूलों के लिए भी एक उदाहरण है और पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में एक अभिनव प्रयास भी। हम बात कर रहे हैं गांधी सर्किल स्थित राजकीय पोद्दार स्कूल की, जिसकी दशा स्कूल शिक्षकों ने मिलकर बदल दी, स्कूल में पौधे लगाए और वाटिका विकसित कर दी वह भी अपने खर्च पर।
लॉकडाउन में उठाई देखभाल की जिम्मेदारी
स्कूल के शिक्षक काफी सालों से समय समय पर नियमित रूप से परिसर में पौधे लगाते आ रहे हैं लेकिन पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल बंद हो गए जिसके चलते परिसर में लगे काफी पेड़ पौधे सूख गए, ऐसे में जो पौधे बचे थे उन्हें बचाने के लिए शिक्षकों ने निर्णय लिया कि वह खुद उनकी देखभाल करेंगे। स्कूल बंद होने के बाद भी शिक्षकों ने नियमित रूप से अपनी जिम्मेदारी लेते हुए पौधों की देखभाल करने का निर्णय लिया, जिससे शेष बचे पेड़ पौधों को सूखने से बचाया जा सके। शिक्षकों ने
जन्मदिन पर भी लगा रहे पौधे
इसके साथ ही अपने और अपने परिजनों के जन्मदिन के अवसर पर भी खाने पीने पार्टी करने में पैसे बरबाद करने की जगह स्कूल परिसर में पौधे लगाएंगे। नतीजा केवल छह माह में यहां शिक्षक तकरीबन हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। शिक्षक खुद फावड़ा, दांतली लेकर श्रमदान करते हैं और स्कूल परिसर में एक वाटिका विकसित कर ली। शिक्षकों का कहना है कि यदि आमजन भी यहां आकर पौधरोपण करना चाहे तो वह कर सकते हैं।
वेस्ट ऑफ बेस्ट का सही उपयोग
लॉकडाउन के बाद जब कुछ समय के लिए स्कूल खुले उस दौरान शिक्षकों को पौधरोपण करते देख विद्यार्थियों को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने भी नियमित रूप से उनका साथ देना शुरू किया। नतीजा कुछ ही समय में वाटिका का स्वरूप निखर आया। विद्यार्थियों और शिक्षकों ने वेस्ट ऑफ बेस्ट के सिद्धांत का सही उपयोग करते हुए वाटिका की बाउंड्री वॉल बनाने के लिए स्कूल में पड़े हुए पुराने कबाड़ का ही उपयोग किया गया। साथ ही पुराने गमले, टूटी बोतल, प्लास्टिक के डिब्बों को फैंकने की जगह उनमें भी पौधे लगाए गए।
इन्होंने भी निभाई जिम्मेदारी
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी इस दिशा में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। संघ के प्रदेशाध्यक्ष शशिभूषण शर्मा को जो कि इसी स्कूल में पदस्थापित हैं ने बताया कि कोविड में ड्यूटी करते हुए शहीद हुए शिक्षकों, चिकित्सकों, पत्रकारों की याद को अक्षुण्ण रखने के लिए संघ ने एक लाख से अधिक पौधे लगाने का निर्णय लिया था। इसकी शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्कूल से ही की गई थी। जिसके बाद से स्कूल के शिक्षक अपने जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी आदि पर कम से कम दस पौधे यहां लगाते हैं और उनकी देखभाल करने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने कहा कि देश में ऑक्सीजन की कमी के चलते हजारों नागरिकों ने अपना जीवन गंवाया है। हमारे बच्चों ने अपने माता.पिता या अभिभावकों को खोया है। संगठन का मानना है कि पेड़ पौधे ऑक्सीजन का भंडार है अन्य बीमारियों से बचाते हैं इसलिए संगठन द्वारा यह संकल्प लिया गया है कि वह पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देंगे।

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