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Rajasthan Politics: सचिन पायलट की चुप्पी से सुलह के दावों पर उठे सवाल!

जयपुर। राजस्थान में चल रही नेतृत्व की लड़ाई के बीच कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट ने आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर…

जयपुरMay 30, 2023 / 10:32 am

Manoj Kumar

Rajasthan Politics

दो बड़े नेताओं के बीच चली आ रही कलह थमती दिख रही है तो वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के अल्टीमेटम को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे है।

Rajasthan Congress: राजस्थान में चल रही नेतृत्व की लड़ाई के बीच कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट ने आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने पर सहमति जताई है। प्रस्ताव पर चर्चा के बीच फिलहाल 30 मई यानी मंगलवार की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, इस बैठक से कुछ दिन पहले सचिन पायलट के राज्य की गहलोत सरकार को अल्टीमेटम दिया था।

Rajasthan Politics: पार्टी आला कमान से मैराथन चर्चा के बाद राजस्थान में एक ओर जहां दो बड़े नेताओं के बीच चली आ रही कलह थमती दिख रही है तो वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के अल्टीमेटम को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणु गोपाल, सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच एक मैराथन मीटिंग हुई।
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इस मीटिंग के बाद वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी एकजुट होकर आगामी राजस्थान चुनाव में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी और सत्ता पर एक बार फिर से काबिज होगी जीतेगी। हालांकि अब भी सबसे बड़ा सवाल ये है कि दोनों नेताओं के बीच समझौते का आधार क्या है। इस बात का खुलासा अभी नहीं किया गया है।
आपको बता दें कि इस बैठक से कुछ दिन पहले पायलट के राज्य की गहलोत सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर उनकी मांगों की अगर पारदर्शी तरीके से जांच शुरू नहीं हुई तो वह आंदोलन जारी रखेंगे। पायलट ने कहा था वसुंधरा सरकार के दौरान हुए कथित घोटालों की जांच, मौजूदा सरकार के दौरान पेपर लीक मामले की पारदर्शी तरीके जे जांच होनी चाहिए। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सचिन पायलट का उनके आंदोलन के प्रति क्या रुख है?
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अभी तक आंदोलन नहीं करने का एलान क्यों नहीं
सवाल उठ रहे हैं अगर हाईकमान का दावा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह हो गया तो आखिर पूर्व डिप्टी सीएम ने अब तक आंदोलन नहीं करने का एलान क्यों नहीं किया। इसके अलावा इस बात की भी चर्चा है कि अगर पायलट, गहलोत के साथ काम करेंगे तो जिन मुद्दों को उन्होंने अपने उपवास और जनसंघर्ष यात्रा के दौरान उठाया उस पर कांग्रेस नेता का रुख क्या होगा?
ऐसा माना जा रहा है कि पायलट के अल्टीमेटम के पहले कांग्रेस की बैठक सिर्फ उन्हें मनाने के लिए ही रखी गई थी। गौरतलब है कि पायलट की यात्रा में लोगों की भारी भीड़ को लेकर भी दिल्ली तक चिंता थी । ऐसे में पार्टी नहीं चाहती थी कि पायलट, 30 मई को प्रदेश भर में आंदोलन का एलान कर दें। पार्टी, पायलट के आंदोलन के पक्ष में इसलिए भी नहीं थी क्योंकि इससे गुटबाजी और बढ़ती और फिर बीजेपी इसे आगामी चुनाव में मुद्दा बनाएगी।
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सचिन पायलट की ओर से आंदोलन पर अपनी स्थिति पूरी तरह से साफ न करने के बाद असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सचिन पायलट पार्टी के प्रस्ताव को स्वीकार कर आगे बढ़ते हैं या गहलोत सरकार से उनकी लंबे समय से जारी लड़ाई जारी रहेगी।

इन सब बातों के बीच गहलोत और पायलट के एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों इस बात पर सहमत हैं कि कांग्रेस पार्टी को साथ काम करना होगा और निश्चित रूप से हम राजस्थान में चुनाव जीतेंगे।

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