scriptखाने का तेल सस्ता, बढ़ेगा पकवानों का स्वाद, एक माह में सरसों दस फीसदी सस्ती | Edible oil is cheap, the taste of dishes will increase, mustard is ten percent cheaper in a month | Patrika News
जयपुर

खाने का तेल सस्ता, बढ़ेगा पकवानों का स्वाद, एक माह में सरसों दस फीसदी सस्ती

इस साल त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की महंगाई से राहत मिल रही है। होली पर मांग बढ़ने के बावजूद खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।

जयपुरMar 06, 2023 / 10:02 am

Narendra Singh Solanki

खाने का तेल सस्ता, बढ़ेगा पकवानों का स्वाद, एक माह में सरसों दस फीसदी सस्ता

खाने का तेल सस्ता, बढ़ेगा पकवानों का स्वाद, एक माह में सरसों दस फीसदी सस्ता

इस साल त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की महंगाई से राहत मिल रही है। होली पर मांग बढ़ने के बावजूद खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। खाद्य तेलों के सस्ते होने की वजह घरेलू तिलहन की पैदावार ज्यादा होना और विदेशी बाजार में इनके दाम घटना भी है। पिछले साल इन दिनों सरसों तेल 165 से 170 रुपए लीटर बिक रहा था, जो अब घटकर 135 से 140 रुपए लीटर बिक रहा है। इसी तरह, साल भर में रिफाइंड सोयाबीन तेल के दाम 140 से 145 रुपए से घटकर 115 से 120 रुपए लीटर रह गए है। महीने भर में सरसों तेल 10 फीसदी, सोयाबीन तेल 3 फीसदी सस्ता हुआ है। साल भर में आयातित तेलों में कच्चे पाम तेल के दाम करीब 30 फीसदी गिरकर 95 रुपए लीटर और आरबीडी पामोलीन के दाम करीब 25 फीसदी घटकर 100 रुपए प्रति लीटर रह गए हैं।
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बंपर फसल से सस्ते हुए खाने के तेल

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि खरीफ सीजन में सोयाबीन की पैदावार ज्यादा थी और अब रबी सीजन में सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। लिहाजा तिलहन पैदावार बढ़ने से खाद्य तेलों की कीमतों में मंदी का माहौल बना हुआ है। होली पर खाद्य तेलों की मांग बढ़ने के बावजूद इनके दाम घट रहे हैं क्योंकि देश में तिलहन की बंपर पैदावार होने का अनुमान है और विदेशी बाजारों में भी खाद्य तेल सस्ते हैं।
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विदेशी तेलों पर निर्भरता घटाने की जरूरत

गुप्ता का कहना है कि खाद्य तेलों के दाम काफी हद तक विदेशी बाजारों पर निर्भर रहते हैं, क्योंकि देश में बड़ी मात्रा में खाद्य तेल आयात किया जाता हैं। ब्राजील व अर्जेंटीना में सोयाबीन और मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बढ़ने का भी अनुमान है, जिससे विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम नरम पड़े हैं। इससे देश में आयातित तेल सस्ते हुए हैं।
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