राजस्थान के नए सीएम भजनलाल शर्मा और दो डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा की नियुक्ति हो गई है। पर दोनों डिप्टी सीएम की नियुक्ति में एक नया मोड़ आ गया है। इन दोनों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए एक वकील ने राजस्थान हाईकोर्ट में PIL दाखिल किया है। एडवोकेट ओमप्रकाश सोलंकी ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा की नियुक्ति को चुनौती दी है। ओमप्रकाश सोलंकी का तर्क है कि संविधान में उपमुख्यमंत्री का कोई पद ही नहीं है तो इस पद की शपथ कैसे ले ली गई? इस पीआईएल की सुनवाई जल्द ही होगी।
अधिवक्ता 6 को बनाया पक्षकार
अधिवक्ता ओमप्रकाश सोलंकी की ओर से दायर इस याचिका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कहा कि संविधान में उप मुख्यमंत्री का कोई पद नहीं है और न ही इस पद पर नियुक्ति का प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 163 व 164 के तहत सीएम की अनुशंसा पर ही राज्यपाल मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करते हैं। याचिका में दोनों उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्तियों को रद्द करने की गुहार की है।
डिप्टी सीएम जैसा कोई संवैधानिक पद नहींसंविधान में संवैधानिक तौर पर मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद का ही जिक्र मिलता है जबकि डिप्टी सीएम जैसा कोई संवैधानिक पद नहीं होता है। इस पद का इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियां जातीय समीकरणों को साधने के लिए करती हैं। डिप्टी सीएम राजनैतिक पद हो सकता है पर संवैधानिक पद नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट की है स्पष्ट व्याख्यादोनों डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सवाल उठाए थे। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में स्पष्ट व्याख्या कर चुका है। उपमुख्यमंत्री पद को चुनौती देने के संबंध में पहले भी अलग-अलग राज्यों में याचिकाएं दाखिल हुईं। ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 164 (3) के तहत डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई जा सकती है। ऐसा करना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है।
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