स्वामी ने बताया कि निदेशालय की जांच में करीब पांच सौ स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने की कोशिश की गई। इसमें सर्वाधिक 161 स्कूल जयपुर में हैं। उनका कहना था कि निदेशालय में 328 स्कूलों की फाइल आई थी, जिसमें 161 स्कूल ऐसे थे जिनके मानदंड पूरे नहीं थे। बीकानेर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 55 स्कूलों में से 33 में, सीकर में 62 में से 41, अलवर में 107 में से 47,चूरू में 75 में से 57 और नागौर में 83 में से 60 स्कूलों में मानदंड अधूरे थे। इसके बाद भी मान्यता की सिफारिश की गई।
आमतौर पर निजी स्कूलों की मान्यता की फाइल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा होती है।वहां से अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशालय से मान्यता आदेश जारी किए जाते हैं। इस बार पहली बार आवेदन करने वाले स्कूलों की फाइल निदेशालय में मंगवाई गई थी, जहां जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच से पता चला कि जिन विद्यालयों के कमरों के आकार मानदंडों से छोटे हैं, जिनके पास तय वर्ग मीटर में जमीन नहीं है, जिन स्कूल के पास साइंस प्रयोगशाला और खेल मैदान नहीं है, उनकी मान्यता के लिए सिफारिश कर दी गई।