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सीजीएसटी कमीश्नर की शक्तियों पर सवाल
गत सोमवार को केंद्र सरकार ने सीजीएसटी के तहत FIR दर्ज करके किसी शख्स को गिरफ्तार करने को लेकर अपनी शक्तियों पर सफाई मांगा था। केंद्र सरकार ने इसको लेकर अपनी दलील में कहा था कि कानूनी रूप से कमीश्नर का इस बात की शक्ति है कि किसी व्यक्ति सीजीएसटी से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर वो गिरफ्तार कर सके। इसके बाद बुधवार यानी आज इस केस की सुनवाई के लिए तारीख तय की गई थी।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपी को दे दी थी अग्रिम जमानत
केंद्र सरकार ने यह याचिक बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देते हुए किया है, जिसमें कहा गया है आरोपी को क्रिमिनल प्रॉसीजनर कोड (सीपीसी) के नियमों का पालन किए बिना कोई भी प्राधिकरण गिरफ्तार नहीं कर सकता है। खास तौर पर एफआईआर भी नहीं दर्ज कराया जा सकता है। दरअसल, एक मामले में सिरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) द्वारा एक शख्स से सीजीएसटी को लेकर नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में जांच किया जा रहा था। इस शख्स से बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रीम जमानत के लिए अपील की थी। कोर्ट ने इस शख्स को अग्रिम जमानत दे भी दी थी।
कुछ समय पहले ही तेलंगाना हाई कोर्ट में भी एक ऐसे ही मामले की सुनवाई हुई थी। उस दौरान दो जजों की बेंच ने इस मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था। साथ ही, तेलंगाना हाईकोर्ट ने सीजीएसटी कमीश्नर द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करने की शक्तियों को भी सही ठहराया था।
बुधवार को सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने कहा कि लगातार कई मामलों में कोर्ट द्वारा किसी एक पार्टी के पक्ष में ही फैसले दे रहा है। कोर्ट में उन मौलिक बातों पर ध्यान नहीं दे रहा, जिसके आधार पर गिरफ्तारी की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच लेगा।
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