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पारदर्शी नियामकीय प्रक्रिया
पिछले कुछ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवार्इ वाली एनडीए सरकार ने तकनीकी के क्षेत्र में कर्इ कड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने र्इ-काॅमर्स नीतियों को लेकर भी कर्इ बड़े फैसले लिए हैं। नर्इ सरकार के लिए जरूरी होगा कि वो डिजिटल सिस्टम में देश के आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक की विश्वास को कायम रख सके। नर्इ सरकार के लिए पारदर्शिता को आैर आगे बढ़ाने की चुनौती होगी। उसे इस क्षेत्र में किसी भी बड़े फैसले लेने से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स पर भी ध्यान देना होगा। पिछले साल ही डाटा लोकलाइजेशन को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) द्वारा दिए गए समय को लेकर सरकार कर्इ बड़ी कंपनियों ने सवाल उठाए थे।
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स्टार्टअप इंडिया के रिवाइव करने की जरूरत
भारत की नर्इ सरकार को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि वो घरेलू कंपनियों को अधिक मौके दे। सरकार की नीति इस बात पर आधारित नहीं हो कि उससे केवल एक खास वर्ग की कंपनियों को ही लाभ मिले। इससे हर सेक्टर की कंपनियों के बीच समान प्रतिस्पर्धा रहेगी। क्लाउड, र्इ-मेल सुविधा से लेकर कार्ड पेमेंट को लेकर घरेलू विकल्पों को प्रोमोट करने से ग्राहकों के पास च्वाइस होने के साथ-साथ बेहतर यूजर एक्सपीरिएंस भी मिल सकेगा। इसके लिए सरकार को स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम को एक बार फिर से रिवाइव करने की जरूरत होगी। बेहतर इकोसिस्टम के साथ-साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा।
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सर्विलांस रिफार्म की जरूरत
नर्इ सरकार के लिए डिजिटल क्षेत्र में सर्विलांस रिफाॅर्म लाना बेहद ही जरूरी है। आगे बढ़ते हुए, संसद और न्यायिक सुरक्षा उपायों के आधार पर एक अधिक जवाबदेह सर्विलांस इकोसिस्टम तंत्र को सही नीतिगत ढांचे के साथ विकसित करना जरूरी होगा। पहले भी हमें यह देखने को मिला है कि लोगों की गोपनीयता के लिए बड़ी लागत होने के साथ-साथ एक भारी नौकरशाही और न्यूनतम जवाबदेह शासन सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान नहीं रहा है। इस फ्रेमवर्क के तहत यह भी ध्यान देना होगा कि प्राइवेसी आैर नेशनल सिक्योरिटी संतुलन कायम रह सके।
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डेटा प्रोटेक्शन बिल
डेटा के क्राॅस बाॅर्डर फ्लो को लेकर सरकार को डेटा प्रोटेक्श बिल के ड्राॅफ्ट में बदलाव करने होंगे। इसमें कड़ी चेकिंग, सर्विलांस एजेसियों मे संतुलन आर जवाबदेही जैसे बातों को ध्यान रखना होगा। हाल ही में प्रस्तावित किए गए इंटरमीडियरी लायबिलिटी अमेंडमेंट पर भी नजर डालने की जरूरत होगी। र्इ-काॅमर्स पाॅलिसी ड्राफ्ट के तहत कम्युनिटी डेटा को लेकर राइट टू प्राइवेसी के नियमों का ध्यान रखना होगा। डेटा व्यक्तिगत होता है, एेसे में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा इसे बिना अनुमति के ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए।
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हेट स्पीच से करना होगा मुकाबला
हाल ही क्राइस्टचर्च हमले आैर 2011 नाॅर्वे अटैक को ट्रोलर्स काफी अाक्रामक तेवर में रहे थे। भारत में बीते कुछ सालों में एेसे कर्इ उदाहरण देखने को मिले। एेसे में नर्इ सरकार को इसकी पहचान करने आैर निपटने के लिए एक जबरदस्त प्रणाली की आवश्यकता होगी। सरकार को अभिव्यक्ति की आजादी आैर नफरत फैलाने वाली बातों को सही तरीके से पहचान करने के लिए कार्यप्रणाली विकसित करनी होगी।
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चौथे आैद्यौगिक क्रांति के लिए तैयारी
चौथे आैद्यौगिक क्रांति को लेकर भारत को पहले से ही तैयार रहना होगा, क्योंकि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। खासतौर से फाइनेंस, कृषि, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग आैर एनर्जी सेक्टर्स में। इसके लिए रणनीतिक रूप से नीतियां बनानी होंगी। बेहतर डिजिटल इकोसिस्टम के लिए सरकार को ग्राहकों को केंद्र बिंदु में रखना होगा।
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