scriptRecession Returns? अमरीका-चीन की टसल के चलते वैश्विक मंदी का खतरा | China and United States will go into womb of world economy | Patrika News
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Recession Returns? अमरीका-चीन की टसल के चलते वैश्विक मंदी का खतरा

चीन और अमरीका के ट्रेड वॉर से 3 फीसदी से नीचे आ सकती है वल्र्ड इकोनॉमी
मौजूदा समय में दुनिया की इकोनॉमी है 3.30 फीसदी
2009 के बाद दुनिया की इकोनॉमी के सबसे निचले स्तर पर आने के आसार

May 07, 2019 / 11:52 am

Saurabh Sharma

recesssion

नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से चीन को आयात कर बढ़ाने की धमकी दी है। उससे एक बार फिर से दुनिया में ट्रेड वॉर शुरू होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं दुनिया की बाकी बड़ी इकोनॉमी और इकोनोमिक संस्थाओं के मन में खतरा पैदा हो गया है कहीं ये ग्लोबल रिसेशन की शुरूआत तो नहीं है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पिछले एक साल से जिस तरह की ग्लोबल इकोनॉमी का स्ट्रक्चर रहा वो था चरमराता हुआ दिखाई दिया। मौजूदा समय में ग्लोबल इकोनॉमी 3.30 फीसदी है। अगर ट्रेड वॉर का यह सिलसिला जारी रहा तो यह फिसलकर 3 या उससे नीचे भीा जा सकती है। आपको बता दें कि 2009-10 और दस में ग्लोबल इकोनॉमी माइनस में चली गई थी। उसके बाद यह ग्लोबल इकोनॉमी का सबसे निचला स्तर होगा।

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मौजूदा समय में ग्लोबल इकोनॉमी का स्तर
अगर बात मौजूदा समय की करें तो ग्लोबल इकोनॉमी की हालत कुछ ज्यादा बेहतर नहीं है। आईएमएफ के आंकड़ों की मानें तो दुनिया की ग्लोबल इकोनॉमी 3.30 फीसदी है। मौजूदा दशक में इससे कम इकोनॉमी 2016 में 3.27 फीसदी रही थी। मौजूदा इकोनॉमी का स्तर इतना कम इसलिए है क्योंकि पिछले एक साल के ज्यादा समय से ट्रेड वॉर देखने को मिल रहा है। वहीं दुनिया की कुछ इकोनॉमी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। जिसकी वजह से दुनिया की औसत इकोनॉमी पर इसका प्रभाव पड़ा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में ट्रेड वॉर के जो आसार दिख रहे हैं उसकी वजह से ग्लोबल इकोनॉमी पर असर पडऩा तय है।

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कुछ ऐसी है संभावना
आखिर रिसेशन का खतरा दुनिया में एक बार फिर क्यों मंडरा रहा है? जानकारों की मानें तो ट्रेड वॉर के कारण आने वाले दिनों में दुनिया की इकोनॉमी में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। आने वाले तीन से चार महीने इसी तरह से देखने को मिले तो दुनिया की इकोनॉमी 3 फीसदी या उससे नीचे भी जा सकती है। ग्लोबल इकोनॉमी का यह स्तर 10 साल बाद देखने को मिलेगा। क्योंकि रिसेशन के समय 2009 और 2010 में ग्लोबल इकोनॉमी -0.10 फीसदी यानी ?माइनस में चली गई थी। वो समय दुनिया के लिए सबसे खराब समय था। जिसका असर किसी ना किसी रूप में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा था। कुछ ऐसा ही संकट मौजूदा समय में भी मंडरा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया फिर एक बार रिसेशन गर्त में चली जाएगी।

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इन पर भी पड़ेगा असर
अगर दुनिया के उन इलाकों की करें जहां इस ट्रेड वॉर का सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा वो हैं, आसियान देशों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। फिर आसियान के दस प्रमुख सदस्य हों या फिर 27 वो देश जो फोरम के माध्यत से इससे जुड़े हुए हैं। मौजूदा समय में आसियान की इकोनॉमी 5.1 फीसदी है। जो आने वाले दिनों में 4 से नीचे जा सकती है। इमरजिंग एंड डेवलपिंग एशिया की इकोनॉमी 6.3 फीसदी से 5 फीसदी पर पहुंच सकती है। वहीं इमरजिंग मार्केट एंड डेवलपिंग इकोनॉमीज की 4.4 फीसदी से 4 या उससे नीचे भी जा सकती है। मिडल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की 1.5 फीसदी से 1.1 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है।

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भारत की इकोनॉमी पर भी पड़ सकता है असर
वहीं दूसरी ओर भारत की इकोनॉमी की बात करें तो जानकारों की यहां की स्थिति भी बेहतर नहीं बताई है। मौजूदा समय में भारत की इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली इकोनॉमी है। मौजूदा समय में देश की जीडीपी 6.6 फीसदी है। जबकि आईएमएफ का प्रिडिक्शन 2019 में 7.436 रहने का अनुमान है। लेकिन इस बार ग्लोबल रिसेशन 2009 और 2010 जैसा नहीं होगा। इस बार इसका भारत पर काफी पडऩे का आसार है। क्योंकि भारत अमरीका और चीन दोनों के साथ व्यापार करता है। दुनिया की छठी सबसे बड़ी इकानोमी इंडिया है। अगर रिसेशन की लौटता है तो इंडिया की इकोनॉमी को करीब दो फीसदी का झटका लग सकता है।

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एंजेल ब्रोकिंग रिसर्च कमोडिटी एंड रिसर्च के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि चीन और अमरीका के ट्रेड वॉर की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी को बड़ा नुकसान पहुंचने के आसार हैं। आने वाले दिनों में ग्लोबल इकोनॉमी 3 फीसदी तक आ सकती है। इसका असर बड़े कंज्यूमर्स और बड़े प्रोड्यूयर्स दोनों पर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार इसके असर भारत भी अछूता नहीं रहेगा। इंडिया की जीडीपी को भी भी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने एक बार फिर से ग्लोबल रिसेशन की संभावना से इनकार नहीं किया है।

 

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