अलवर. अमीरों की तो हर कोई सुनता है। उनके काम भी होते हैं लेकिन गरीबों के हक में फैसले नहीं हो पाते। यही कारण है कि शहर की 16 कच्ची बस्तियों के पट्टे आज तक जारी नहीं हो पाए। नगर परिषद के हर दिन बुजुर्ग व महिलाएं चक्कर लगाते हैं पर कार्रवाई नहीं होती। इन बस्तियों के करीब आठ हजार आवेदन लंबित हैं। इनकी फाइलें नगर परिषद में धूल फांक रही हैं। कुछ फाइलों का तो अता-पता ही नहीं। परिषद का तर्क है कि सरकार की ओर से अनुमति नहीं मिल पाई।
ये हैं कच्ची बस्तियां, हजारों की है आबादी
शहर में 65 वार्ड हैं। इनमें 16 वार्डों में कच्ची बस्तियां हैं। किसी बस्ती में 500 लोग निवास कर रहे हैं तो किसी में एक हजार। 25 हजार से अधिक आबादी कच्ची बस्तियों में निवास कर रही है। ये बस्तियां सोनावां डूंगरी, दिल्ली दरवाजा, अखेपुरा, गणेश ग्वाड़ी, कबीर कॉलोनी, लाल खान, अस्सी क्वार्टर, कालाकुआं हरिजन बस्ती आदि हैं। इन बस्तियों में वोटरों की संख्या भी काफी है जो पार्षद से लेकर विधायक तक चुनते हैं पर इनके पट्टे अब तक नहीं बन पाए। नेताओं ने भी इनके हक के लिए तमाम बार बैठकों में पट्टे का मुद्दा उठाया पर नगर परिषद ने एक भी फाइल की धूल नहीं झाड़ी। फाइलों का ढेर लग गया।
फाइलों में क्या हैं कमियां, कोई नहीं बताता गणेश ग्वाड़ी के राकेश का कहना है कि पट्टे के लिए वह माह में दस बार नगर परिषद के चक्कर लगाते हैं। दो साल से लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन पट्टा जारी नहीं हो पाया। फाइल में क्या कमियां हैं, यह भी कोई बताने को तैयार नहीं है। यही कह दिया जाए कि पट्टे उस माह में जारी होंगे तो उनकी भागदौड़ बच जाएगी। कालाकुआं के विक्रम सिंह, राजू, कबीर कॉलोनी के रमेश कुमार का भी यही कहना है। कहते हैं कि वोट लेने तो हर कोई यहां आता है लेकिन उनके काम कोई नहीं करा पा रहा है। पट्टे जारी हों तो छत उनकी हो।
पार्षद बोले, इन लोगों की ओर देना होगा ध्यान
वार्ड 33 के पार्षद संजय कहते हैं कि कच्ची बस्तियों के पट्टे जारी करवाने के लिए मुद्दा उठाया गया लेकिन अब तक इस पर कार्रवाई नहीं की गई। दिशा की बैठक में भी यह बात रखी गई। पार्षद अविनाश खंडेलवाल का कहना है कि कच्ची बस्ती के पट्टे जारी होने चाहिए। इसके लिए सरकार कदम उठाए। नगर परिषद भी इसके लिए पहल करे। यही बात पार्षद सतीश यादव कहते हैं। उन्होंने भी कई बार लोगों का मुद्दा परिषद तक पहुंचाया।
कच्ची बस्तियों के पट्टे का प्रकरण मेरे संज्ञान में है लेकिन अभी सरकार से अनुमति आना बाकी है। यूआईटी की बैठक में यह प्रकरण आएगा। वहां जो निर्णय होगा उसके बाद आगे बढ़ा जाएगा।
– मनीष कुमार, आयुक्त, नगर परिषद