विपक्ष की आपत्ति के बाद फैसला
केंद्र सरकार के कैबिनेट से करीब 40 संशोधनों को मंजूरी के बाद संसद के बजट सत्र में वक्फ संशोधन एक्ट पेश किया था। विपक्षी इंडिया ब्लॉक के साथ एनडीए के टीडीपी जैसे घटक दलों के विरोध के चलते इस संशोधन एक्ट को जेपीसी के पास भेजा गया, जिसका कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होना था। कई दौर की बैठकों व हजारों लोगों से सुनवाई के बाद जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल इसकी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में रखना चाहते थे। इस बीच विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर इस एक्ट पर जल्दबाजी नहीं दिखाने का आग्रह किया। इसे केंद्र सरकार ने मान लिया। इसके बाद लोकसभा में गुरुवार को जगदंबिका पाल ने एक्ट के लिए जेपीसी की रिपोर्ट पेश करने का समय बजट सत्र 2025 के अंतिम दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिसे हंगामे के बीच सर्वसम्मिति से पारित कर दिया।
विपक्ष के हंगामे से नहीं चली संसद
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को भी विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। दोनों सदनों में हंगामे के चलते पहले कार्यवाही 12 बजे और बाद में दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने विपक्ष की निंदा की।
संविधान सभा में भी थी असहमतिः बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को संविधान की 75वीं वर्षगांठ का ध्यान दिलाते हुए कहा कि संविधान सभा में भी असहमति थी। बहस हुई, लेकिन इस तरह का हंगामा ठीक नहीं है। उन्होंने सांसदों से मर्यादित आचरण की अपील की।