जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर भदैया ब्लाक के विकवाजितपुर गांव में दीपावली के पहले वाले रविवार को होने वाले मेले में रामलीला का मंचन कर रावण के पुतले का दहन क्यों किया जाता है और क्यों नहीं दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता। इस बारे में बिक़वाजितपुर गांव निवासी 90 वर्षीय रघुनाथ प्रसाद लाल श्रीवास्तव बताते हैं कि इस मेले को 1905 में गांव के स्वर्गीय कुंवर बहादुर लाल श्रीवास्तव ने शुरू किया था। गांव में रामलीला मंचन के कार्यक्रम में अपेक्षित भीड़ न जुटने के कारण स्वर्गीय कुंवर बहादुर लाल ने विचार किया कि चूँकि दशहरे के दिन पूरे जिले में रामलीला मंचन के पश्चात रावण के पुतले का दहन होता है, इसलिए अपेक्षित दर्शक वर्ग नहीं आ पाता।
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक रामलीला मंचन विजयादशमी के दिन गांव के लोग एकत्र नहीं हो पाते थे, इसलिए सब ने 113 साल पूर्व यह तय किया कि वे सब यहां दीपावली के पूर्व रामलीला का मंचन कराते हुए बुराई के प्रतीक रावण का दहन करेंगे। भगवान राम के राज्याभिषेक का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाएंगे। 113 साल से चला आ रहा रामलीला का कार्यक्रम आज भी जारी है।