scriptUP By-Election: उपचुनाव में सपा की हार की 4 बड़ी वजह, अखिलेश यादव को ले डूबा ओवर-कॉन्फिडेंस | UP by-election: 4 big reasons for SP's defeat in the by-election, over-confidence drowned Akhilesh Yadav | Patrika News
लखनऊ

UP By-Election: उपचुनाव में सपा की हार की 4 बड़ी वजह, अखिलेश यादव को ले डूबा ओवर-कॉन्फिडेंस

UP by-election: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की नौ सीटों पर रुझान आ गया है। भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ सात सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि 2 पर सपा ने जीत हासिल की है।  मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट भी सपा के हाथ से निकल गई है।  

लखनऊNov 23, 2024 / 05:54 pm

Aman Pandey

Akhilesh Yadav
UP By-Election: यूपी के उप चुनावों में भाजपा का दबदबा रहा। नौ सीटों में सात सीटों पर BJP गठबंधन ने जीत हासिल की है, जिसमें गाजियाबाद, कुंदरकी, खैर, फूलपुर, मझवां, कटेहरी और मीरापुर सीट शामिल हैं। जबकि दो सीटों सीसामऊ और करहल में सपा ने जीत हासिल की है। आइए समझते हैं कहां चूक गई सपा।
पूरे उपचुनाव में अखिलेश का ओवर-कॉन्फिडेंस तो भाजपा की जमीनी मेहनत दिखाई दी। लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर न‍िराशा हाथ लगने के बाद इस उपचुनाव की मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने कमान खुद संभाली। योगी ने न स‍िर्फ हर सीट पर जोर-शोर से प्रचार क‍िया, बल्‍क‍ि ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा द‍िया।
वहीं, लोकसभा चुनाव रिजल्ट से गदगद अखिलेश ओवर-कॉन्फिडेंस में रहे। कांग्रेस ने पांच सीटों की मांग की थी, लेकिन सपा ने केवल दो सीटें दीं—खैर और गाजियाबाद। इसके बाद बड़ा फैसला लेते हुए कांग्रेस ने उपचुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी सपा के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए फायदेमंद रहीं।

मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव

अखिलेश का फूलपुर, सीसामऊ, कुंदरकी और मीरापुर में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा। इससे हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण में बीजेपी को मदद मिली। योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा चल गया। इस नारे ने एक अलग तरह का असर किया। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि लोगों ने जाति के ऊपर धर्म को चुना।

परिवारवाद भी दिखा

इन चार सीटों के अलावा अखिलेश यादव ने तीन सीटों पर परिवार के लोगों को टिकट दिया। इसमें करहल विधानसभा सीट से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभवती वर्मा को टिकट दिया। भले ही करहल और सीसामऊ से सीट पर सपा जीत गई हो, लेकिन परिवारवाद का मैसेज कार्यकर्ताओं और जनता के बीच सही नहीं गया।

भाजपा की मजबूत पकड़ और रणनीति

भाजपा ने उपचुनावों में बेहतर संगठन, क्षेत्रीय समीकरण और मतदाताओं के साथ सीधा संवाद स्थापित कर अपनी स्थिति मजबूत की। भाजपा ने परंपरागत रूप से मजबूत सीटों को बरकरार रखा और विपक्ष के मतों का बंटवारा उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ।
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सपा के मतदाताओं का विभाजन

जातिगत और धार्मिक समीकरणों का समुचित उपयोग करने में सपा असफल रही। खासकर यादव और मुस्लिम मतदाता, जो सपा के पारंपरिक आधार माने जाते हैं, इनमें विभाजन देखने को मिला, जिससे सपा का वोट प्रतिशत गिरा।

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