तीनों लोगों का राजगढ़ मुक्तिधाम पर ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन अंतिम संस्कार में परिजन दूरी बनाने की हर हिकमत लगाते रहे। हद तो यह कि अंतिम संस्कार के बाद मुक्तिधाम अंत्येष्टिस्थल से कोई अस्थियां चुनने तक नहीं पहुंचा। मान्यता है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है ताकि पंचतत्व से बना शरीर पुनः पंचतत्व में विलीन हो जाए और आत्मा को मुक्ति मिल सके। लेकिन अपनों की यह दूरी रिश्तों और खुदगर्जी की अलग दास्तां बयां कर रही।
मुक्तिधाम पर पीपीई किट फैले रहने से खौफ को मिल रहा बल मुक्तिधाम पर कोरोना संदिग्धों का अंतिम संस्कार करने आ रहे लोगों में मेडिकल टीम भी शामिल रह रही। वे लोग अपने पीपीई किट भी वहीं छोड़ दे रहे हैं। पीपीई किट आम लोगों में दहशत को और बढ़ा रहा है। हालांकि, जानकार बताते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को ले जाने में किसी प्रकार का संक्रमण का खतरा नहीं है लेकिन लोग इस पर विश्वास करने पर हिचकिचा रहे।
शव निष्पादन नोडल अधिकारी आरके कटारिया का कहना है कि शरीर के अंतिम संस्कार के बाद संक्रमण का कोई प्रभाव नहीं रहता। परिजन चाहे तो अस्थियां चुन सकते हैं। जहां तक साफ-सफाई की बात है तो वह व्यवस्था नगर पालिका की जिम्मेदारी है। पालिका के जिम्मेदारों के हम लोग संपर्क में हैं।
By: Bhanu Thakur