आदिवासियों के उत्थान के लिए उनकी शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उत्तम जीवनशैली और जीवनयापन के बेहतर साधन उपलब्ध करवाकर उनको मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए। हालांकि सरकार उन्हें नौकरियों में आरक्षण के साथ विभिन्न योजनाओं का लाभ दे रही है, लेकिन अब भी उनके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
-संजय निघोजकर, धार, मप्र
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आदिवासियों के उत्थान के लिए सरकार को उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के खास प्रयास करने चाहिए। उनकी धरोहर का संरक्षण करना चाहिए। उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराना चाहिए।
-विनायक गोयल, रतलाम, मप्र
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आदिवासियों के उत्थान के लिए उन्हें मुफ्त की योजनाओं का लालच देने की बजाय उनके लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा के बेहतर प्रबंध होना जरूरी है। युवाओं को कौशल उन्नयन के गुर सिखाए जाने चाहिए। बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए पोषक आहार वितरण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। उन्हें अंधविश्वास से उबारने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
—ललित महालकरी, इंदौर
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आदिवासी जनसंख्या मुख्य रूप से जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है। आदिवासी देश की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। मुख्यधारा में लाने के लिए उनको शिक्षित करना जरूरी है। इसके लिए आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के आधारभूत ढांचे का विकास करना आवश्यक है। शिक्षा ही वह रास्ता है जो उनका उत्थान कर सकती है।
-गजेंद्र चौहान कसौदा, डीग
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आदिवासियों के उत्थान के लिए सर्वप्रथम आम जनता को उनसे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना चाहिए। यह समझना चाहिए कि हम और वे एक समान हैं। इसी तरह उन्हें शिक्षित करने के प्रयास सरकार व आमजन द्वारा किए जाने चाहिए। शिक्षा के प्रति जागरूकता उनके उत्थान के लिए बेहद आवश्यक है। -सुशीला जाखड़, श्री डूंगरगढ़
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पूरे समाज की जिम्मेदारी
जनजातीय विकास सरकार ही नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है। करीब 700 से अधिक जनजातीय समूहों के दस करोड़ से ज्यादा लोग देश में रहते हैं, लेकिन उनके विकास को लेकर खास काम नहीं हुआ है। राजनीतिक कटिबद्धता एवं प्रतिबद्धता से ही आदिवासियों का उत्थान एवं कल्याण संभव है। बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजाति गौरव दिवस का आयोजन एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदिवासी शोध एवं कल्याण परियोजनाओं को हरी झंडी उम्मीद भरा कदम है।
-डॉ. हर्षवर्धन कुमार, पटना, बिहार
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सामाजिक चेतना, सामाजिक सहभागिता और विभिन्न समाजों के साथ तालमेल के जरिए आदिवासी समाज का उत्थान सम्भव है। सरकारी योजनाएं तो खूब बनीं, अब तो उनकी समीक्षा होनी चाहिए।
– राजराजेश्वरी जोशी, लक्ष्मणगढ़-शेखावाटी