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नेतृत्वः भिन्न-भिन्न स्थितियों में भी प्रभावी हो निर्णय

लीडर के लिए यह जानना भी जरूरी कि गुणों को कब और कैसे लागू किया जाए

जयपुरNov 18, 2024 / 10:06 pm

Nitin Kumar

प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
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एक शिक्षक के रूप में, मैं नेतृत्व को एक मार्गदर्शक दृष्टिकोण से देखता हूं, जहां सहानुभूति, धैर्य और छात्र विकास के लिए जुनून होना मूलभूत गुण बन जाते हैं। कक्षा वह अद्वितीय नेतृत्व वातावरण है जो निरंतर बातचीत, समझ और मार्गदर्शन की मांग करता है। शिक्षण के लिए न केवल विषय में निपुणता की आवश्यकता होती है, बल्कि प्रभावी ढंग से संवाद करने, विविध शिक्षण शैलियों के अनुकूल होने और छात्रों को उनकी क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने की क्षमता भी आवश्यक है। इसी स्थिति में, इस क्षमता के विकास में नेतृत्व का गुण सिद्धांत एक आधार प्रदान करता है। हालांकि, यह एक लीडर की अनुकूलनशीलता और स्थिति की मांग है जो इन गुणों को सार्थक तरीकों से जीवंत करती है। एक लीडर के रूप में, केवल गुणों का होना ही नहीं बल्कि यह जानना कि उन्हें कब और कैसे लागू किया जाए, वास्तव में आवश्यक है।
शिक्षण में मेरे सबसे पसंदीदा अनुभवों में से एक है छात्रों को उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने में मदद करना। छात्रों को अपने लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए सहानुभूति और संचार कौशल आवश्यक होते हैं। हर छात्र के अपने अद्वितीय संघर्ष और आकांक्षाएं होती हैं, और इन बारीकियों को समझने से मुझे व्यक्तिगत रूप से उनसे जुडऩे की अनुमति मिलती है। यह गुण-संचालित दृष्टिकोण गुण सिद्धांत में नेतृत्व के सार के साथ संरेखित होता है, जहां सहानुभूति और धैर्य एक सहायक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
इस प्रकार, भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर में निदेशक के रूप में, मुझे न केवल एक संस्थान का प्रबंधन करने का काम सौंपा गया, बल्कि इसके दृष्टिकोण को आकार देने और अगली पीढ़ी के लीडरों को तैयार करने का जिम्मा भी। इस भूमिका में, ईमानदारी, दूरदर्शिता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता जैसे गुण सर्वोपरि हो गए। अकादमिक नेतृत्व के लिए प्रबंधन कौशल से कहीं अधिक की आवश्यकता होती है। इसके लिए मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और संकाय, छात्रों और हितधारकों के बीच विश्वास को प्रेरित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है। नेतृत्व सिद्धांत में ईमानदारी एक प्रमुख गुण है, जो यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण रहता है कि हर निर्णय पारदर्शी रूप से और संस्थान के मिशन के अनुरूप लिया जाए।
मेरा एक उद्देश्य एक समावेशी वातावरण बनाना था – क्योंकि आइआइएम इंदौर के समुदाय में विविध पृष्ठभूमि और संस्कृतियों के व्यक्ति शामिल हैं। सांस्कृतिक संवेदनशीलता यहां एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में उभरी है। सांस्कृतिक बारीकियों का सम्मान करना और छात्रों व संकाय की विविध आवश्यकताओं के अनुकूल होना मुझे सहानुभूति और समझ के साथ नेतृत्व करने की अनुमति देता है। इन गुणों के साथ अपने दृष्टिकोण को संरेखित कर, मेरा लक्ष्य ऐसा वातावरण बनाना रहा, जहां हर कोई मूल्यवान महसूस करे और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके।
इन अनुभवों के माध्यम से, मैंने समझा है कि सार्वभौमिक नेतृत्व गुण विभिन्न वातावरणों की अनूठी चुनौतियों के अनुकूल हो सकते हैं। नेतृत्व सिद्धांत द्वारा पहचाने गए गुण – निर्णायकता, लचीलापन, सहानुभूति, अखंडता, दूरदर्शिता – हर स्थिति में आवश्यक साबित होते हैं। नेतृत्व का गुण सिद्धांत उन गुणों के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि देता है जो विभिन्न वातावरणों में सफल नेतृत्व को रेखांकित करते हैं। प्रभावी नेतृत्व का अर्थ ही है स्वयं की ताकत को समझना, टीम की जरूरतों को पहचानना और सकारात्मक, सशक्त प्रभाव उत्पन्न करने के लिए अंतर्निहित गुणों को लागू करना। यही एक सच्चे नेतृत्व को परिभाषित करता है।

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