पिछले साल कम हुई थी बारिश
मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस बार ला नीना के चलते औसत से अधिक बारिश यानी 106 फीसदी बारिश होने की संभावना है। पिछले साल ये सामान्य से 94 फीसदी कम थी।
किसानों को होगा फायदा
भारत में ज्यादातर बारिश जुलाई और अगस्त में होती है और ला नीना (La Nina) के कारण होने वाली अधिक बारिश के से किसानों को खेतों में सिंचाई में भी मदद मिलेगी। सही मात्रा में बारिश चीनी, दोल, चावल और सब्जियों जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित कर सकती है, जिससे मुद्रास्फीति की समस्या पर भी लगाम लग सकता है।
क्या होता है ला नीना (La Nina)
भारत में अल नीनो की बात करें तो ये अधिक गर्मी और कमजोर मॉनसून की वजह बनता है। वहीं ला नीना औसत से अधिक बारिश और ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना होती है। भारतीय मौसम विभाग ने भी ला नीना के विकसित होने की पूर्ण संभावना जताई है। NOAA का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में ला नीना से जुड़ी घटनाएं देखने को मिली हैं। ये अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में इसकी शुरुआत जून से हो जाएगी।