काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी धाम भी आबादी के बीच में होने के चलते इसके रास्ते बेहद संकरे थे। जगह कम होने के चलते श्रद्घालुओं को काफी दिक्कत होती थी। आम दिनों में दर्शनार्थियों की भीड़ के अलावा नवरात्र में पैर रखने तक की जगह नहीं होती। इसी के मद्देनजर यूपी सरकार काशी विश्वनाथ काॅरिडोर की तर्ज पर विंध्य काॅरिडोर विकसित कर रही है। 30 अक्टूबर 2020को योगी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी और नवंबर 2020 में अधिग्रहण और ध्वस्तीकरण का काम शुरू हो गया था।
विंध्य काॅरिडोर के पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 मीटर चौड़ा गलयिारा (परिक्रमा पथ) बनाया जाना है। इससे मंदिर का परिसर कई गुना बढ़ जाएगा। इसके अलावा मंदिर को जोड़ने वाले चार मार्ग पुरानी वीआईपी गली का विस्तार 40 फ़ीट, न्यू वीआईपी गली का विस्तार 35 फ़ीट, गंगा घाट की तरफ जाने वाले मार्ग पक्काघाट मार्ग दो सौ मीटर तक गली की चौड़ाई 35 फ़ीट बढ़ाई जा रही है।
परिक्रमा पथ के निर्माण के लिये मकान, दुकान समेत 92 सम्पत्तियां और चारों मार्ग के चौड़ीकरण के लिये 671 सम्पत्तियां खरीदकर ध्वस्तीकर किया जा चुका है और उसका मलबा हटाकर परिसर केा निर्माण और शिलान्यास के लिये तैयार किया जा रहा है। काॅरिडोर की सम्पत्ति खरीदने के लिये शासन से अब तक तीन किस्तों में कुल 133 करोड़ की धनराशि मिल चुकी है। विंध्य काॅरिडोर की लागत 331 करोड़ रुपये है लेकिन परियोजना के विस्तार से इसकी लागत अभी और बढ़ेगी। अब काॅरिडोर के अंतर्गत काली खोह और अष्टभुजा मंदिर का निर्माण भी किया जाना है। इसकी रूपरेखा जिला प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही है। इन मंदिरों को दूसरे चरण में शामिल किया जाएगा।
विंध्य धाम विकास परिषद का हुआ गठन
योगी सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिये विंध्य धाम विकास परिषद के गठन को मंजूरी दे दी है। सूबे के पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी के अनुसार परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं। इसका मकसद क्षेत्र में आने वाले भक्तों और यात्रियों की सुविधा के लिये समुचित व्यवस्था करना है। उन्होंने यह साफ किया है कि मंदिर की व्यवस्था जैसे चल रही थी वैसे ही चलती रहेगी इसमें सरकार की हस्तक्षेप की योजना नहीं है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
विंध्य काॅरिडोर के बन जाने से इलाके में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यहां आसपास पहाड़ी क्षेत्र में कई खूबसूरत झरने, कुंड और वाटर फाॅल्स है, जहां पर्यटक आते हैं। पर्यटन की दृष्टि से यहां अष्टभुजा पहाड़ी पर पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला रोपवे भी लगभग बनकर पूरा हो चुका है। इसके बन जाने से अष्टभुजा मंदिर जाने के लिये खड़ी पहाड़ी सीढि़यां नहीं चढ़नी होंगी। मां विंध्यवासिनी मंदिर से पांच मिनट में अष्टभुजा मंदिर पहुंचा जा सकेगा।
कुल लागत 331 करोड़