आईपी में मिले 100 में से 100 मार्क्स
मां वंदना गर्ग बताती हैं, मैं एमए कर चुकी हूं, लेकिन मनु के लिए 22 साल बाद दोबारा पढ़ाई शुरू की। अच्छी बात यह थी कि मेरी इंग्लिश बेहतर थी। मनु जो भी स्कूल में सुनकर आता, मैं उसे बुक रीड़ करवाकर रिवीजन करवा देती। जबकि कम्प्यूटर ये मुझे पढ़ा देता। कभी ये मुझे, कभी मैं इसे पढ़ाती। आईपी में इसे 100 मार्क्स मिले हैं।
मनु का कहना है कि बहुत से लोगों को मुझसे ज्यादा परेशानी है, लेकिन फिर भी वे हार नहीं मानते, तो मैं अपने आपको कमजोर क्यों समझूं। कभी-कभी मुझे भी फ्रस्टेशन होता था, लेकिन मैंने इसे डील करना सीख लिया। स्कूल में जो भी पढ़ाते, मैं उसे बहुत ध्यान से सुनता, फिर घर आकर मां को बता देता। इस तरह हम दोनों की बॉन्डिंग बैठ गई। मनु सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई करना चाहते हैं और भविष्य में आइएएस बनना चाहते हैं। खुशी से लबरेज मां वंदना कहती हैं, ये जहां भी रहा, मैं इसके साथ रहूंगी, जब तक आइएएस नहीं बन जाता, मेरी यह जर्नी भी चलती रहेगी।