खंडपीठ ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि बच्चों को अपने इलाकों और कॉलोनियों के खुले पार्कों में स्वतंत्र रूप से खेलने की अनुमति नहीं है। उन्हें अक्सर क्रिकेट या फुटबॉल जैसे खेल नहीं खेलने दिए जाते, क्योंकि गेंद किसी की छत पर गिरने, कारों से टकराने और खिड़कियों के शीशे टूटने की आशंका रहती है। खंडपीठ ने निराशा जताते हुए कहा, अक्सर हम देखते हैं कि खुली जगहों को सजावटी पार्कों में बदल दिया जाता है। हर जगह पेड़ लगाए जाते हैं, जिससे किसी भी खेल गतिविधि के लिए जगह नहीं बचती। पार्कों और लॉन में फव्वारे लगाए जाते हैं, जो शायद ही कभी काम करते हों। पार्क बेंचों से भरे हुए हैं। दुर्भाग्य से बच्चों और युवाओं के लिए उनकी कॉलोनियों में आउटडोर स्पोट्र्स गतिविधियों की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
गेंद फ्लैट में गिरी और निराश हो गए बच्चे वीडियो में विराट कोहली एक मोहल्ले में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते नजर आ रहे हैं। एक बच्चा गेंद को हिट करता है, जो फ्लैट की बालकनी में गिरती है। बच्चे निराश हो जाते हैं, क्योंकि अब गेंद उन्हें वापस नहीं मिलेगी। कोहली फ्लैट की घंटी बजाते हैं। एक महिला दरवाजा खोलती है और प्रसिद्ध क्रिकेटर को देखकर हैरान रह जाती है। कोहली महिला से गेंद वापस करने का अनुरोध करते हैं।
इसी तरह रोका जाता तो कैसे बनते विराट विराट कोहली वीडियो में संदेश देते हैं कि अगर उन्हें बचपन में उनके इलाके में खेलने से रोका गया होता तो वह वहां नहीं होते, जहां आज हैं। वह लोगों से बच्चों को खेलने की अनुमति देने की अपील करते हैं। वीडियो देखने के बाद हाईकोर्ट जानना चाहता है कि सरकार बच्चों के अपने इलाकों में खुले स्थानों पर खेलने के अधिकार की रक्षा के लिए क्या नीतियां बना सकती है।