एक्सक्लूसिव: ककून के किसानों को मिला फायदे का बाजार
खुले बाजार में ककून बेचने से हुआ दोगुना फयादा, प्रदेश में एक मात्र बाजार नर्मदापुरम में खुला, खंडवा के ककून से हुई बाजार की शुरूआत
Exclusive: Cocoon farmers get profitable market
खंडवा. रेशम के लिए अब ककून की खेती करने वाले किसानों को खुला बाजार मुहैया कराया है। इससे किसानों को दोगुना से भी ज्यादा मुनाफा हो रहा है। ककूनकी खेती करने वाले किसान लंबे अर्से से दर बढ़ाने की मांग सरकार से कर रहे थे। खुला बाजार मिलने से फायदा बढ़ गया है। हाल ही में शुरू हुए खुले बाजार में खंडवा के किसानों की ककून विक्री से ही शुरूआत हुई है। हालांकि ककून की खेती का रकवा निमाड़ में तेजी से घटना है, जिसे बढ़ाने के पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। उपभोग का अधिकार के तहत शासकीय भूमि पर किसानों की सहभागिता बढ़ाकर स्वावलंबन हितग्राही बढ़ाए गए हैं। इसी तरह निजी क्षेत्र में भी विस्तार किया जा रहा है।
फेडरेशन लेता है कमीशन
पहले सिल्क फेडरेशन ही अपनी तय कीमतों पर किसानों से ककून लेता था। अब खुले बाजार में ककून की अच्छी कीमत किसानों को मिलने लगी है। इसके लिए नर्मदापुरम में एक मंडी बनाई गई है। जहां निमाड़ के किसान अपना ककून बेचने जाते हैं। यहां बिकने वाले ककून से प्रति किलो 10 रुपए कमीशन फेडरेशन लेता है। इसके एवज में किसानों को प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
पुराने ककून से चल रहा काम
खुला बाजार देने से पहले फेडरेशन खुद ककून को खरीदकर उसका धागा बनाता था। इसी धागे से यहां कुछ उत्पाद भी तैयार होते हैं। यह उत्पाद बेचकर फेडरेशन को अच्छी खासी आय भी हो जाती है। मौजूदा समय में पुराने स्टॉफ से रेशम विभाग काम चला रहा है। स्टॉक खत्म होने पर क्षेत्र के किसानों से ककून खरीदा जाएगा। इसमें भी तय कीमत पर अगर किसान राजी होगा तभी विभाग को ककून मिल सकेगा।
किस जिले में कितने हितग्राही
निजी विस्तार हितग्राही
खालवा- 7
पुनासा- 2
बुरहानपुर- 8
खरगोन- 10
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स्वावलंबन हितग्राही
खालवा- 6
बुरहानपुर- 4
खरगोन- 4
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ककून का कहां कितना उत्पान
खंडवा- 1468 किग्रा
बुरहानपुर- 870 किग्रा
बड़वानी- 90 किग्रा
खरगोन- 200 किग्रा
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वर्जन…
ककून की दरें बढाने की मांग किसान कर रहे थे। इसके लिए सरकार ने एक मात्र खुला बाजार नर्मदापुरम में किसानों को उपलब्ध कराया है। जिसमें किसानों को अच्छा रेट मिल रहा है। इस बाजार की शुरूआत खंडवा के कृषकों की ककून से ही किया गया है।
– एके पटेल, सहायक संचालक, रेशम विभाग
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