लाखों के विकास कार्य कागजी प्रक्रिया में उलझे नगर निगम कार्यालय में मुख्यमंत्री अधोसंरचना के लाखों के विकास कार्य कागजी प्रक्रिया में उलझे हुए हैं। यही नहीं दूसरी बार टेंडर खुलने के एक माह बाद भी निगम दर स्वीकृति नहीं कर सका है। इससे 15 सामुदायिक विकास कार्यों का निर्माण कार्य प्रभावित है। इसमें ज्यादातर कार्यों की टेंडर खुलने की तिथि से कार्य पूर्ण करने की अवधि 30 और कुछ कार्यों को 60 दिन में पूर्ण करना है। टेंडर खुलने के करीब एक माह बीतने के बाद भी कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। निगम में विकास कार्यों की प्रगति को लेकर महापौर अमृता यादव की सख्ती के बाद भी कार्यालय में प्रक्रिया धीमी चल रही है।नगरीय प्रशासन ने नगर निगम क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत पांच-पांच लाख रुपए की लागत के 15 कार्य स्वीकृत किए हैं। पहला टेंडर करीब तीन माह पहले जारी किए गए।
निगम ने 75 हजार रुपए की जमानत राशि की राजसात टेंडर ओपन होने के बाद तत्कालीन समय निगम ने यह कहते हुए करीब 75 हजार रुपए ठेकेदारों का यह कहते हुए राजसात किए जाने की कार्रवाई की गई है कि समय से कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। दूसरी बार 11 नवंबर-2024 को टेंडर निकाला। टेंडर ओपन होने के बाद दिसंबर बीतने को है अभी तक टेंडर्स की दर स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। इससे विकास कार्य प्रभावित है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वर्कआर्डर जारी करने से पहले विकास कार्यों में डाले गए टेंडर के रेट के अनुसार दर स्वीकृति करना है। लेकिन निर्माण शाखा में कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं किए जाने से मुख्यमंत्री अधोसंरचना के विकास कार्य शुरू नहीं हो सके हैं।
सांसद के प्रस्ताव में सरकारी गैर सरकारी भूमि का भी पेंच नगरीय क्षेत्र में विकास के लिए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने करीब एक साल पहले सांसद निधि से कार्य कराने का प्रस्ताव दिया था। तत्कालीन समय शासन स्तर पर सभी कार्यों को मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के तहत स्वीकृत कर दिए। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सांसद निधि से जिन जगहों पर विकास कार्यों का प्रस्ताव दिया गया है। वे सभी निजी भूमि पर होने थे। शासन स्तर पर कार्यों का मद परिवर्तन होने के बाद अब विकास कार्यों में नियम का पेंच फंस रहा है। कार्यालय में नियम को लेकर चर्चा है कि सांसद के जिन कार्यों का प्रस्ताव मुख्यमंत्री अधोसंरचना में कर दिए गए हैं उनके कार्य शुरू करने के लिए शासकीय भूमि की तलाश की जा रही है। बताया गया कि इन विकास कार्यों में नियम का पेंच फंसने से शासकीय भूमि की खोजबीन की जा रही है। इस लिए भी अभी दर स्वीकृति नहीं हो सकी है। इसके लिए शासन स्तर पर मार्ग दर्शन मांगने की तैयारी चल रही है।
इन वार्डों में स्वीकृत सामुदायिक भवन के निर्माण का मामला आजाद नगर वार्ड-47 सार्वजनिक उपयोग के लिए सामुदायिक भवन निर्माण, चंद्रशेखर वार्ड-45 में अवध बिहारी व्यायाम शाला के निकट सामुदायिक भवन, परदेशीपुरा वार्ड-43 में श्री निमाड़ प्रांतीय नर्मदे ब्राह्मण मोहल्ले में सामुदायिक भवन। इसी तरह रामेश्वर रोड वार्ड-47 में दो सामुदायिक भवन, रतागढ़ में वार्ड-5 संमति नगर वार्ड-30, गणेश तलाई वार्ड-1 में एक-एक सामुदायिक भवन निर्माण का टेंडर निकाला है। इसी तरह बसोड़ मोहल्ला वार्ड-46, मालीकुंआ वार्ड-44, वार्ड-49, कुंडलेश्वर वार्ड-24, प्रजापति माेहल्ला वार्ड-32 । सभी वार्ड में संस्कृति एवं सामुदायिक भवन के लिए पांच-पांच लाख रुपए की लागत के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। टेंडर की प्रकिया भी पूरी हो चुकी है।
वर्जन… मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत पहले राउंड में टेंडर की प्रक्रिया में ठेकेदारों के द्वारा प्रक्रिया पूरी नहीं किए जाने पर जमानत राशि राजसात कर दूसरे राउंड की निविदा निकाली गई। निविदा खुलने के बाद दर स्वीकृति की कागजी प्रक्रिया चल रही है। जल्द पूरी कर ली जाएगी।
राधेश्याम उपाध्याय, कार्य पालन यंत्री, पडब्ल्यूडी, नगर निगम