गुरु के बताए मार्गों पर चलने का आह्वान
गुरुद्वारे के सेवादार निछतरसिंह ने बताया कि सुबह 9 बजे गुरुद्वारे में आयोजित कार्यक्रम में पंजाब से आए कथावाचकों की ओर से गुरुवाणी व सुखवाणी का पाठ किया गया और गुरुग्रंथ साहब को सिक्ख समाज का स्थायी रूप से गुरु बताते हुए उसी में गुरुनानक साहब के बताए मार्गों, आदर्शो व सिद्धांतों पर चलकर समाज को संगठित करने का आह्वान किया। इस मौके पर पंजाब से आए कविश्री जत्थे ने कविकीर्तन किया। उन्होंने गुरुनानकदेव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके बताए मार्गों पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने पोकरण स्थित गुरुद्वारा दमदमा साहब के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस गुरुद्वारे का महत्व इसलिए है कि यहां गुरुनानकदेव ने कुछ दिन रुककर विश्राम किया था। उस दौरान उनकी भेंट लोकदेवता बाबा रामदेव से भी हुई और उन्होंने बाबा रामदेव को पीरो का पीर बताया। उन्होंने बताया कि जहां-जहां भी गुरुनानकदेव महाराज ने पड़ाव डाला, वहां-वहां बड़े गुरुद्वारों का निर्माण करवाया गया है। पोकरण की धरा पर भी गुरुजी के पांव पड़े थे। इसीलिए इस स्थान का धार्मिक रूप से बहुत बड़ा महत्व है। इस मौके पर साधसंतों व सिक्ख समाज के अनुयायियों ने गुरु के बताए शबद कीर्तन का भी उच्चारण किया। जिसका सभी श्रद्धालुओं ने अनुसरण किया। शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा व राजस्थान सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में आए सिक्ख समाज के लोगों, सैन्य अधिकारियों, सैनिकों व कस्बे के गणमान्य नागरिकों ने गुरुनानक जयंती पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी।
गुरु के लंगर में उमड़ा श्रद्धा का जन सैलाब
गुरु नानक जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत शुक्रवार को गुरुद्वारे में स्थित भोजनशाला में गुरु के लंगर का आयोजन किया गया। इसमें यहां आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कतारों में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को लंगर में मान मनुहार के साथ भोजन करवाया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित सेवादारों, कारसेवकों व सेना के जवानों ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा की। लंगर देर शाम तक चलता रहा।