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जयपुर

Sri Satyanarayan Vrat : विष्णुजी का सबसे सरल पर सबसे प्रभावी व्रत, इस काम के बिना नहीं मिलता फल

01 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इन दिनों अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास चल रहा है। अधिक मास की पूर्णिमा का महत्व इसलिए बढ जाता है क्योंकि यह मास जहां भगवान विष्णु को समर्पित है और वहीं पूर्णिमा पर लक्ष्मीजी की पूजा फलदायी होती है। इस तरह मलमास पूर्णिमा पर भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करना मंगलकारी बन जाता है।

जयपुरOct 01, 2020 / 03:45 pm

deepak deewan

Satyanarayan Vrat Katha , Satyanarayan Vrat Puja Vidhi , Purnima 2020

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जयपुर. 01 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इन दिनों अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास चल रहा है। अधिक मास की पूर्णिमा का महत्व इसलिए बढ जाता है क्योंकि यह मास जहां भगवान विष्णु को समर्पित है और वहीं पूर्णिमा पर लक्ष्मीजी की पूजा फलदायी होती है। इस तरह मलमास पूर्णिमा पर भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करना मंगलकारी बन जाता है।
पूर्णिमा के दिन विष्णुजी के ही रूप श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और सत्यनारायण भगवान की कथा सुनी—सुनाई जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि कुछ सालों तक पहले तक घरों में प्राय: हर पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन किया जाता था। श्रीसत्यनारायण की पूजा करने और श्रीसत्यनारायण की कथा सुनने से जीवन के दुख खत्म होते हैं और सुख—संपत्ति बढती है।
विश्वासपूर्वक विधिविधान से श्रीसत्यनारायण की पूजा करने और श्रीसत्यनारायण की कथा सुनने से विष्णुजी का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। अधिक मास की पूर्णिमा के दिन घर पर श्रीसत्यनारायण की कथा का आयोजन करना बहुत लाभदायक होता है।
पूर्णिमा पर श्रीसत्यनारायण की पूजा संध्या के समय करें। श्रीसत्यनारायण की पूजा में गेहूं के आटे को भूनकर उसमें घी और शक्कर मिलाकर प्रसाद बनाया जाता है जिसे कसार भी कहते हैं. इसके साथ ही भोग के रूप में केले भी अर्पित करने चाहिए। श्रीसत्यनारायण की पूजा कर कथा सुनें और आरती के बाद प्रसाद वितरण करके व्रत को पूर्ण करें। याद रखें कथा सुने बिना इस व्रत का फल प्राप्त नहीं होता।

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