बारिश से तापमान में गिरावट…आइसक्रीम कारोबारियों के छूटे पसीने
चने से दोगुना भावों में मिल रही अरहर
सरकार ने पोर्टल पर अरहर का स्टॉक अपलोड करने के निर्देश दिए थे। इस कारण अधिकतर आयातक बिक्री के हिसाब से रंगून, तंजानिया, केन्या तथा मेडागास्कर आदि देशों से सौदे करने लगे थे। इधर, मंडियों एवं मिलर्स के पास भी अरहर का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। परिणामस्वरूप अरहर दाल में लगातार तेजी का रुख देखा जा रहा है। अरहर का घरेलू उत्पादन निरंतर घटता जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसकी फसल आठ से नौ माह में होती है। आम उपभोक्ता को देशी चने की दाल 75 से 80 रुपए प्रति किलो में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि अरहर दाल दोगुने भाव से भी ज्यादा कीमतों पर मिल रही है।
दाल के बाद अब चावल की महंगाई… आम आदमी की बढ़ी मुश्किलें
सरकार आयात कर सस्ती कीमतों में उपलब्ध कराए
ट्रेडर्स का कहना है कि सरकार को स्टॉक लिमिट लगाने की बजाए अरहर का आयात अपनी एजेंसियों के माध्यम से करके सब्सिडी देकर मिलिंग के लिए सस्ती कीमतों पर दाल मिलों को अरहर की आपूर्ति की जानी चाहिए। जिससे महंगाई को रोका जा सके। वर्तमान में दाल मिलों एवं ट्रेडर्स के लिए 2000 क्विंटल दाल रखने की स्टॉक लिमिट निर्धारत है। चूंकि व्यापारियों एवं मिलर्स के पास अरहर दाल का स्टॉक ही नहीं है, लिहाजा स्टॉक लिमिट रखने के कोई मायने नहीं हैं। इसलिए ये कहा जा सकता है कि सरकार ने यदि शीघ्र कोई कदम नहीं उठाए तो अरहर दाल खेरुज में जल्दी ही 200 रुपए प्रति किलो बिक सकती है।
बेमौसम बारिश से इलेक्ट्रोनिक व्यापारियों के पसीने छूटे… 50 फीसदी तक घट सकती है बिक्री
गिरने के बाद सुधरे अरहर के दाम
दलहन कारोबारी श्याम नाटाणी ने बताया कि स्टॉक लिमिट लगने के बाद भाव गिरे थे, लेकिन जितने गिरे, उतने वापस बढ़ गए, क्योंकि बाजार में अरहर की आपूर्ति कमजोर है। आने वाले दिनों में अरहर के दाम गिरने की संभावना कम ही है। उत्पादन घटने से अरहर की उपलब्धता कम है। इसलिए स्टॉक लिमिट लगाने से अरहर की कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है। आगे भी अरहर के भाव 10,000 से 11,000 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में बने रहने की संभावना है।