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डिजिटल अरेस्ट गैंग का भंडाफोड़: दो गिरोह के 10 लोग गिरफ्तार, चीनी माफियाओं से जुड़े तार

Digital arrest gang busted: गुजरात पुलिस ने बीते चौबीस घंटों में डिजिटल अरेस्ट कर लोगों से ठगी करने वाले दो गिरोहों के दस लोगों को गिरफ्तार किया है।

अहमदाबादNov 29, 2024 / 07:26 am

Shaitan Prajapat

Digital Arrest
Digital arrest gang busted: गुजरात पुलिस ने बीते चौबीस घंटों में डिजिटल अरेस्ट कर लोगों से ठगी करने वाले दो गिरोहों के दस लोगों को गिरफ्तार किया है। अहमदाबाद और सूरत पुलिस की इस कार्रवाई में एक गिरोह के तार चीनी माफियाओं से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। दोनों गिरोहों की ठगी के लिए डिजिटल अरेस्ट करने का तरीका भी एक जैसा ही है।

14 राज्यों में 28 ठगी के मामले

सूरत पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट से ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गैंग के खिलाफ 14 राज्यों में 28 ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। गिरफ्तार होने वालों में रमेश कुमार सुराणी, उमेश जिंजाला, नरेश सुराणी, राजेश दिहोरा और गौरांग राखोलिया शामिल हैं। इस गैंग को चीनी माफियाओं द्वारा ऑपरेट किया जा रहा था। गैंग का मुख्य सरगना पार्थ गोपाणी उर्फ मॉडल कंबोडिया में छिपा हुआ है। वह चीनी माफियाओं के साथ मिलकर यह रैकेट चला रहा था। गैंग ने शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले 90 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन को फंसाकर उनसे 1.15 करोड़ रुपए की ठगी की थी। पुलिस ने एक बैंक खाते के जरिए इस गैंग तक पहुंच बनाई और इसका पर्दाफाश किया।

70 वर्षीय बुजुर्ग को बनाया शिकार

अहमदाबाद पुलिस की साइबर ब्रांच ने 70 वर्षीय बुजुर्ग को मोबाइल फोन पर डिजिटल अरेस्ट रखते हुए 1.15 करोड़ रुपए ठगने के मामले में पांच आरोपियों को पकड़ा है। इनमें से चार बैंक के कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी साइबर ठगों की ओर से ठगे गए पैंसों को बैंक खातों से जल्द रफा-दफा करने में मदद करते थे। साइबर क्राइम अहमदाबाद के एसीपी हार्दिक मांकडिया ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में बनासकांठा जिले के डीसा निवासी जिगर जोशी, जतिन चोखावाला, दीपक उर्फ दीपू सोनी, डीसा के कुडा गांव का मावजी पटेल और राजस्थान के नागौर जिले के धाधरियाकलान गांव निवासी अनिल कुमार मंडा शामिल हैं। जतिन, दीपक, मावजी और अनिल यस बैंक के कर्मचारी हैं। अनिल यस बैंक की राजस्थान की मेड़ता ब्रांच में कार्यरत है।
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ऐसे होता था डिजिटल अरेस्ट का खेल

डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग के सदस्य किसी भी नम्बर पर वाट्सएप कॉल करते हैं। खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय या फिर सीबीआई का अधिकारी बताते हैं। कॉल उठाने वाले व्यक्ति को यह कहकर डराते हैं कि आपके नाम का पार्सल मिला है जिसमें ड्रग्स हैं। उसी नम्बर पर गैंग का दूसरा सदस्य बड़ा अधिकारी बनकर फोन करता है और बचने लिए अलग अलग खाते में पैसे ट्रांसफर करवाता है। सूरत और अहमदाबाद के मामले में दोनों ही गैंग ने बुजुर्गों को निशाना बनाया और उनसे दो करोड़ तीन लाख रुपए ठग लिए।

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