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गोरखपुर

गोरखपुर मंडल में 139 किसानों पर एफआईआर, चार कर्मचारी निलंबित

प्रदूषणः किसानों पर सख्ती, उद्योगपतियों पर नरमी

गोरखपुरNov 28, 2019 / 12:58 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

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यूपी सरकार उद्योगों से प्रदूषित हो रहे आबोहवा पर भले ही चुप्पी साध ली हो लेकिन पराली जलाने पर किसानों पर एफआईआर में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। दिल्ली में प्रदूषण के बाद पराली जलाने को लेकर हुए हो हल्ला के बीच गोरखपुर मंडल में 139 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है। यही नहीं 28 कर्मचारियों को नोटिस देने के साथ चार को निलंबित भी किया गया है। प्रशासन का दावा है कि कार्रवाई और सख्ती की वजह से पराली जलाने के मामलों में 76 प्रतिशत की कमी आई है।
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सर्दिया शुरू होते ही देश की राजधानी दिल्ली एवं एनसीआर हर वर्ष की तरह अचानक प्रदूषण से त्राहिमाम करने लगा। देखते ही देखते यह संकट उत्तर प्रदेश के भी तमाम जिलों में आमजन के स्वास्थ्य पर संकट पैदा करने लगा। यह गोरखपुर मंडल के जिलों में भी महसूस किया गया। बढ़ते प्रदूषण की वजह को किसानों द्वारा पराली जलाना बताया गया। फिर क्या था किसानों पर शिकंजा कसा जाने लगा। पराली जलाने पर रोक लगाया गया, नहीं मानने पर एफआईआर व जुर्माना का प्राविधान किया गया। गांव-गांव सरकारी मुलाजिम तैनात हुए, उन्होंने निगरानी शुरू की। इसके बाद धड़ाधड़ किसानों पर एफआईआर की कार्रवाई शुरू हुई।
गोरखपुर जिले में 196 किसानों से 4.90 लाख रुपये वसूल किए गए। 29 किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। कुशीनगर जिले में 56 किसानों से 1.40 लाख रुपया जुर्माना वसूल कर 4 कम्बाइन मशीने सीज की गई। सबसे ज्यादा संवेदनशील जिलों में महराजगंज में कुल 263 मामलों में 608 किसानों से 15.04 लाख रुपये जुर्माना किया गया। इनमें 110 किसानों पर एफआईआर भी दर्ज कराया गया। 28 कर्मचारियों को नोटिस करते हुए 4 कर्मचारियों को निलबित किया गया। महराजगंज में सर्वाधिक 7 कम्बाइन हार्वेस्टर मशीने भी सीज की गई। देवरिया जिले में 40 किसानों से 1.05 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया।
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प्रशासन का दावा सख्ती से कम आए मामले

पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर अप्रत्याशित नियंत्रण का दावा प्रशासन कर रहा है। प्रशासनिक आंकड़ों की मानें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल सख्ती अधिक होने से 76 प्रतिशत मामले कम सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार पराली जलाने के गोरखपुर मण्डल में पिछले वर्ष जहां 1330 मामले थे, वही इस वर्ष सिर्फ 317 मामले ही सामने आए। पिछले वर्ष की तुलना में इस अवधि में 76 फीसदी की कमी दर्ज की गई। देवरिया जिले में 58 मामलों के सापेक्ष सिर्फ 8, गोरखपुर के 128 के सापेक्ष 16, कुशीनगर 143 के सापेक्ष सिर्फ 30 और महराजगंज में 1001 के सापेक्ष सिर्फ 263 मामले पराली जलाने के सामने आए। यह आंकड़ा एक अक्तूबर से 24 नवम्बर तक का है।

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