शिव सेना प्रदेश उपाध्यक्ष महेश आहूजा के मुताबिक योगी सरकार द्वारा अभिभावकों की सालों से चली आ रही मांग के क्रम में अध्यादेश लागू करने की पहल की,लेकिन जिले के ज्यादातर निजी स्कूल को नोटिस जारी होने के बाद भी पालन करने को सहमत नहीं है। जिला प्रशासन भी इन निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के मामले में असहाय दिखाई पड रहा है। इसके अलावा जो बच्चा आठवीं पास करते हुए नौवी क्लास या दसवीं पास करने के बाद ग्यारहवीं में आता है स्कूल संचालकों द्वारा एडमिशन शुल्क एवं बिल्डिंग शुल्क की वसूली की जा रही है। जबकि एक बार यदि किसी स्कूल में बच्चे का एडमिशन हो गया तो नए सिरे से एडमिशन शुल्क व बिल्डिंग शुल्क वसूल किया जाना पूरी तरह से गलत है।
शिवसेना पदाधिकारियों के मुताबिक करीब डेढ दशक पहले तत्कालीन एडीएम राजकुमार सचान द्वारा मामले की पडताल की गई थीं। उऩ्होने एडमिशन शुल्क वसूली पर रोक लगा दी थीं,लेकिन हैरत का पहलू ये है कि स्कूल संचालक मनमानी पर अमादा है। एनओसी को लगू करने का प्रावधान भी इस मसौदे में नहीं किया गया है। बच्चों की सेफ्टी और सिक्योरिटी को लेकर प्रावधान बिल में होना चाहिए।