पार्टी किसानों, जाटों और मुस्लिम वोटों का ऐसा ताना बाना बुनती थी कि उसकी पहुंच लोकसभा से लेकर विधानसभा तक रहती थी। समय के साथ इस सियासी तानेबाने को मुजफ्फरनगर दंगे की कैंची ने काट दिया। हालात ऐसे हो गए कि मुस्लिम और जाटों में दूरी बढ़ गई। इसका परिणाम पार्टी भुगत चुकी है और 2014 के लोकसभा चुनाव में चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी को अपनी सीटें गंवानी पड़ीं।
राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के जिलाध्यक्ष कपिल चौधरी बताते हैं कि सर्वसमाज को संगठन से जोडऩे के निर्देश पार्टी हाईकमान ने जारी किए हैं। हर कार्यकर्ता को सर्वसमाज के कम से कम तीन परिवारों को जोडऩे का टॉस्क दिया गया है। यह जुड़ाव राजनीतिक के साथ भावनात्मक भी होना चाहिए। रालोद का पश्चिमी यूपी में अपना अलग असर रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता इन्दरजीत सिंह टीटू ने बताया कि इस बार लोकसभा चुनाव में वेस्ट यूपी समेत बाकि जनपदों में भी रालोद का अच्छा प्रदर्शन होगा। चौधरी अजित सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जंयत चौधरी के साथ सभी समाज के कार्यकर्ता स्थिति को बदलने में लगे हुए है। भाजपा, बसपा सभी ने विकास के नाम पर भावनाओं के साथ में खिलवाड़ किया है। रालोद का हर कार्यकर्ता सर्वसमाज में जाकर घरों में दस्तक देगा।