27 जुलाई की आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरू पूर्णिमा को सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण लगने जा रहा है। इससे पहले 31 जनवरी को इस साल पूर्ण चन्द्रग्रहण लगा था जिसमें करीब 1 घंटे 16 मिनट का खग्रास था। अब 27 और 28 जुलाई की मध्य रात्रि में लगने वाले चन्द्रग्रहण में करीब 1 घंटे 43 मिनट का खग्रास रहेगा। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा। इसे सुपरमून भी कहा जा रहा है, जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा पूर्ण चंद्रग्रहण 104 साल बाद आ रहा है। इससे पहले यह 1914 में ऐसा ग्रहण आया था।
वहीं देश के
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक इस बार का चंद्रग्रहण बहुत खास है, जिससे जहां कुछ लोगों को फायदा होगा चो वहीं कई लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा। खग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनिट से प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान कुछ भी खाना-पीना मना रहता है। हालाकि बाल, वृद्ध और रोगियों के लिए इसे एक प्रहर पूर्व यानी रात्रि 8 बजकर 54 मिनिट से माना जाना चाहिए उनके खाने-पीने के लिए कोई मनाही नहीं है। ग्रहण का स्पर्श यानी ग्रहण काल रात्रि 11 बजकर 54 मिनिट पर प्रारंभ होगा। रात्रि 1 बजकर 52 मिनट पर पूर्ण ग्रहण और रात्रि को 3 बजकर 49 मिनिट पर इसका मोक्षकाल रहेगा।
27-28 जुलाई की मध्य रात्रि को पडऩे वाला खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और मकर राशि पर पड़ रहा है। इसका असर शनि की राशियों पर विशेष रूप से पड़ेगा। ग्रहण मेष राशि, सिंह, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ तथा वृष, कर्क, कन्या व धनु राशि के जातकों के लिए मिश्रित फलकारी रहेगा। इसी तरह मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए यह अशुभ कारक रहेगा। इतना ही नहीं इस चंद्र ग्रहण से कई अशुभ योग भी बन रहे हैं जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि प्राकृतिक आपदा भी आ सकती है जिससे नुकसान भी हो सकता है।