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आपको बता दें कि संघप्रिय गौतम अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। इसके अलावा संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर भी कई महत्वपूण्र जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपने खून-पसीने से इस पार्टी को आज इस मुकाम पर पहुंचाया है और हालत देखकर दुख होता है। तीन राज्यों में भाजपा क हार से उन्हें बहुत तकलीफ होती है। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और आरएसएस को इसके लिए पत्र भी लिखा है।
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पत्र में उन्होंने लिखा है कि मोदी हटें, गडकरी बढ़ें तो भाजपा बचे। उन्होंने लिखा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत से नरेंद्र मोदी का कद बहुत ऊंचा हुआ है। उनकी नीतियों के कारण देश का नाम दुनिया में रोशन हुआ है। 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावाें में भी भाजपा ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। इसके बाद मोदी मंत्र और अमित शाह के चक्रव्यूह को ग्रहण लग गया। संविधान को बदलने की पार्टी के कुछ लोगों द्वारा बातें करना अथवा संविधान से छेड़छाड़ करना, सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई या सीबीआई में दखलअंदाजी करना बुरा असर डालता है। इसेक अलावा जोड़तोड़ की राजनीति से सरकार बनाना भी गलत निर्णय है।
उन्होंने लिखा है कि रोजगार के अवसर पैदा न करना, किसानों का कर्ज माफ न करना, किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान न करना और खाद व बीज की लागत ज्यादा कर देना किसानों को झटक देना है। भ्रष्टाचार, महंगाई और कालाधन को छोड़कर धर्म, मंदिर और मस्जिद जैसे मुद्दे को उठाने से जनता का विश्वास उठ गया है। इसके अलावा उन्होंने पत्र में कई और मुद्दों को उठाया है।
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उन्होंने कहा कि अब पांच राज्यों में हुए चुनाव में मोदी मंत्र और अमित शाक का चक्रव्यूक निष्प्रभावी साबित हुआ। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार चली गई। हार की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अपने सिर पर लेनी चाहिए। जल्द ही लाेकसभा चुनाव होने हैं। इनमें मोदी मंत्र नहीं चलेगा। कार्यकर्ता निराश हैं। उनका कहना है कि भाजपा को दोबारा सत्ता में आना और मोदी का प्रधानमंत्री बनना जरूरी है। इसके लिए सरकार और संगठन में फेरबदल करना चाहिए। नितिन गडकरी को उप्रधानमंत्री बनाना चाहिए। योगी आदित्यनाथ को धर्मिक कार्यों में लगाकर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। अमित शाह को अब राज्यसभा में भेजकर शिवराज सिंह चौहान को भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदार सौंपनी चाहिए। इससे कार्यकर्ताओं में फिर से जोश आएगा।