यूपी में महागठबंधन बन जाने के बाद भाजपा की चुनौती भी बढ़ गई है। सपा-बसपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने पर जहां 31-35 प्रतिशत मत हासिल करने वाला उम्मीदवार जीत जाता था। वहीं, इस बार भाजपा को डर सताने लगा है। दरअसल, गठबंधन के बाद अब भाजपा को जीतने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल करने पड़ेंगे। यही वजह है कि सोमवार को मुख्यमंत्री के गाजियाबाद दौड़े के दौरान भाजपा के संगठन के अहम ओहदेदारों ने सांसदों को मत्र दिया कि 2019 में कुर्सी बचाने के लिए कुल मतदान का 50 प्रतिशत हासिल करने होंगे।
इस बैठक में मौजूद भाजपा के मुरादाबाद मंडल के विधायकों और सांसदों ने बैठक का ब्यौरा देते हुए बताया कि करीब ढाई घंटे तक चली बैठक 2019 से जुड़ी चिंताओं तक ही सीमित रही। इन नेताओं ने बताया कि बैठक में ज्यादातर वक्त मुख्यमंत्री ही बोलते रहे। बकी बचे समय में प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल,राष्ट्रीय सहमंत्री संगठन शिव प्रकाश ने लिया।
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इस बैठक की खास बात ये रही कि यहा संघ की बौद्धिक जैसा नजारा दिखा। यानी यहां विधायकों और सांसदों को ज्ञान तो दिया गया, लेकिन उनका सुझाव नहीं लिया गया। उन नेताओं को बताया गया कि दलितों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी दलितों का साथ भाजपा को नहीं मिल रहा है। इस बैठक में नेताओं को यह सीख दी गई कि दलितों को किसी भी तरह यह यकीन दिलाया जाए कि भाजपा ही उनकी हितैषी पार्टी है। इस मौके पर ग्राम स्वराज अभियान से लेकर 21 लाख दलित छात्रों को स्कॉलरशिप देने के फैसले का भी प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा गया। इसके साथ ही सासंदों को घुट्टी पिलाई गई कि दलितों के घर-घर जाकर उन्हें समझाएं और उनके लिए चलाई गई तमाम योजनाओं के बारे में उन्हें बताएं। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं से वंचित दलितों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए।