सावन की महिमा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
17 जुलाई से शुरू हो रहा शिव का सावन, इन नियमों के साथ सावन सोमवार की पूजा नहीं होगी निष्फल
सावन सोमवार पर मनोकामना पूर्ति
देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में पार्वती नाम से राजा हिमाचल और महारानी मैना की सुपुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती जी ने युवावस्था से ही इसी सावन के महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया था। पार्वती जी के तप से प्रसन्न होकर महादेव शिवशंकर ने उनसे विवाह किया था और तब से यह सावन का महीना देवाधि देव महादेव के लिए सबसे खास महीना हो गया। भारत के सभी शिवालयों में सावन सोमवार पर मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है।
सावन के पहले ही दिन 2 घंटे देरी से होगी बाबा महाकाल पर भस्म आरती
सावन में इस दिन प्रसन्न होकर शिव करते है नृत्य
कहा जाता है कि सावन मास के पड़ने वाले प्रदोष काल में कैलाशपति भगवान शिवजी कैलाश पर्वत पर डमरु बजाते हुए अत्यन्त प्रसन्नचित्त होकर ब्रह्मांड को खुश करने के लिए नृत्य करते हैं। देवी-देवता इस प्रदोष काल में शिव शंकर की स्तुति करने के लिए कैलाश पर्वत पर आते हैं। मां सरस्वती वीणा बजाकर, इन्द्र वंशी धारणकर, ब्रह्मा ताल देकर, माता महालक्ष्मी गाना गाकर, भगवान विष्णु मृदंग बजाकर भगवान शिव की सेवा करते हैं। यक्ष, नाग, गंधर्व, सिद्ध, विद्याधर व अप्सराएं भी प्रदोष काल में भगवान शिव की स्तुति में लीन हो जाते हैं।
*****************