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सबसे पहले इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सद्गुरु का ध्यान करें-
योगपूर्णं तपोनिष्ठं वेदमूर्तिं यशस्विनम्।
गौरवर्णं गुरुं श्रेष्ठं भगवत्या सुशोभितम्॥
कारुण्यामृतसागरं शिष्यभक्तादिसेवितम्।
श्रीरामं सद्गुरुं ध्यायेत् तमाचार्यवरं प्रभुम्॥
अर्थात- गौरवर्णीय, प्रेम की साकार मूर्ति गुरुदेव, गुरुमाता के साथ सुशोभित हैं। गुरुदेव योग की सभी साधनाओं में पूर्ण, वेद की साकार मूर्ति, तपोनिष्ठ व तेजस्वी हैं। शिष्य और भक्तों से सेवित गुरुदेव करुणा के अमृत सागर हैं। उन आचार्य श्रेष्ठ अपने गुरुदेव का हम ध्यान करते हैं।
गुरु ही इष्ट है, इष्ट ही गुरु है
हृदंबुजे कर्णिकमध्यसंस्थे सिंहासनेसंस्थितदिव्यमूर्तिम्।
ध्यायेद्गुरुं चन्द्रकलाप्रकाशं चित्पुस्तकाभीष्टवरं दधानम्॥
श्वेताम्बरं श्वेतविलेपपुष्पं मुक्ताविभूषं मुदितं द्विनेत्रम्।
वामांङ्कपीठस्थितदिव्यशकिंत मन्दस्मितं सांद्रकृपानिधानम्॥
गुरु पूर्णिमा का महत्व
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
अर्थात- अज्ञानरूपी अंधकार से अंधे हुए जीव की आँखें जिसने ज्ञानरूपी काजल की शलाका से खोली है, ऐसे श्री सदगुरु को प्रणाम है।
गुरु तो भगवान से बड़े है
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
“गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः।।
बच्चे को जन्म भले ही मां-बाप देते हों लेकिन उसको जीवन का अर्थ और इस संसार के बारे में समझाने का कार्य गुरु कराता है । गुरु को ब्रह्मा, विष्ण और शिव कहा गया है- जिस प्रकार ब्रह्मा जीव का सर्जन करते हैं, विष्णु जी पालन करते है और शिवजी कल्याण के साथ संहार भी करते हैं यही तीनों कार्य गुरु अपने शिष्य के निर्माण करते हैं । हमारी आत्मा को ईश्वर रूपी सत्य का साक्षात्कार करने का कार्य केवल और केवल सदगुरू ही कर सकते हैं ।
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गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरु और पर्व पूजन ऐसे करें-
शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा की विधि इस प्रकार बताई गई है कि सुबह स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु, शिवजी की पूजा करने बाद गुरु बृहस्पति, महर्षि वेदव्यास की पूजा करें इसके बाद अपने गुरु की पूजा करें । गुरु को फूलों की माला पहनाएं और मिष्ठान, वस्त्र, धन के अलावा गुरु को शिष्य दक्षिणा के रूप में अपनी कोई बुराई अर्पित करन गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करें ।
गुरु पूजन का शुभ मुहूर्त
– गुरु पूर्णिमा तिथि- 15 जुलाई दिन सोमवार की रात 1 बजकर 48 मिनट से शुरू हो जायेगी।
– गुरु पूर्णिमा तिथि का समापन 16 जुलाई दिन मंगलवार की रात 3 बजकर 7 मिनट पर होगा।
– अतः सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद तक शिष्य अपने गुरु और भगवान वेद व्यास जी का पूजन कर सकते हैं।
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